असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि, बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 'भारी' वोट दिया. सरमा ने कहा कि, उक्त समुदाय ने केंद्र और राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा उनके लिए किए गए विकास कार्यों पर विचार किए बिना कांग्रेस के लिए मतदान किया. सीएम सरमा ने आरोप लगाया कि, असम में बांग्लादेशी मूल का अल्पसंख्यक समुदाय एकमात्र ऐसा समुदाय है, जो सांप्रदायिकता में लिप्त है.
गौरतलब है कि, भारतीय जनता पार्टी-AGP-UPPL गठबंधन ने असम की 14 लोकसभा सीटों में से 11 पर जीत हासिल की, जबकि शेष तीन सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार जीते.
शर्मा ने आगे कहा कि, इससे साफ जाहिर है कि, हिंदू सांप्रदायिकता में शामिल नहीं होते हैं. अगर असम में कोई सांप्रदायिकता में शामिल है, तो वह केवल एक समुदाय, एक धर्म है. कोई अन्य धर्म ऐसा नहीं करता है.
बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यकों ने नहीं दिया भाजपा को वोट
असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि, सड़क और बिजली नहीं होने के बावजूद अल्पसंख्यक बहुल इलाकों ने कांग्रेस को वोट दिया. भाजपा ने असमिया लोगों और आदिवासियों के लिए काम किया, लेकिन बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यकों ने सत्तारूढ़ पार्टी को वोट नहीं दिया.
सरमा ने कहा कि, करीमगंज को छोड़कर बांग्लादेश मूल के लोगों की बहुलता वाले केंद्रों पर गौर करें तो 99 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले हैं. अल्पसंख्यक लोग भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए घरों में रह रहे हों, मोदी द्वारा प्रदान की गई बिजली और स्वच्छता सुविधाओं का लाभ उठा रहे हों, लेकिन जब वे वोट देने जाते हैं, तो वे कांग्रेस को वोट देते हैं.
बांग्लादेश मूल का समुदाय करना चाहता है असम पर नियंत्रण
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि, बांग्लादेश मूल का समुदाय कांग्रेस को वोट देगा क्योंकि वे अगले 10 वर्षों में असम पर नियंत्रण करना चाहते हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने दावा किया कि, जब आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने के बाद से भाजपा सरकार "निष्क्रिय" थी, तब समुदाय के सदस्यों ने बारपेटा के एक गांव में एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया और कोकराझार में जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की.
Source : News Nation Bureau