समाजवादी परिवार में वर्चस्व को लेकर छिड़ी जंग का अंत फिलहाल नज़र नहीं आ रहा है। पार्टी सुप्रिमो मुलायम सिंह यादव ने चाचा-भतीजा के बीच युद्धविराम के लिए लखनऊ के पार्टी दफ्तर में बैठक की जहां अखिलेश ने समाजवादी पार्टी को मुलायम की पार्टी बताकर पहला इमोशनल कार्ड खेला।
अखिलेश का इमोशनल सर्जिकल स्ट्राइक
अखिलेश ने बैठक के दौरान कहा, 'मुझे इस बात की गलतफहमी नहीं है कि ये आपकी पार्टी है, मैंने पूरे कैबिनेट के सामने कह दिया था कि ये आपकी पार्टी है अगर पार्टी का एक एक आदमी ये कह दे कि मैंने ये बात नहीं कही थी। मैंने कहा था कि पूरी 100% ये नेताजी की पार्टी है। मेरा कुछ भी नहीं है इसके अंदर मैंने कैबिनेट के अंदर कहा था। मैंने कैबिनेट में कह दिया था कि ये पार्टी और सबकुछ आपका है'..ये बोलते बोलते अखिलेश भावुक हो उठे, कांपती आवाज के साथ उन्होंने शिवपाल यादव का नाम लिए बगैर आरोप लगाया कि उनके खिलाफ साजिश हुई थी इसलिए उऩ्होंने शिवपाल के खिलाफ कार्रवाई की थी।
इतना ही नहीं भावुक होते हुए अखिलेश यादव ने कहा, 'नेताजी और हमारे खिलाफ अगर कोई साजिश हो रही है तो मैं उसके खिलाफ कार्रवाई करूंगा। उसी समय मैंने फैसला लिया।' कोई नारा नहीं लगाएगा, मेरी बात सुनो पहले। 'मैंने उसी समय फैसला ले लिया कि मुझे क्या करना है। मैंने किसी को नहीं बताया। अगर मैंने जमीन पर कोई काम उतारा है तो मेरी जिम्मेदारी है उसे मैं लागू करूं। मेरी दूसरी भी ज़िम्मेदारी है कि अगर साज़िश हो रही है तो मैं उसके खिलाफ खड़ा हो जाऊं। इसीलिए मैंने फैसला ले लिया। मैंने किसी चाचा से नहीं पूछा। मैंने चाचा रामगोपाल से नहीं पूछा कि मैं हटाऊंगा या नहीं हटाऊंगा। मैं बताऊंगा कि साजिश क्यों हो रही है।' मुझे आप प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा देते मुझे कोई आपत्ति नहीं थी। आप मुझसे कहते इस्तीफा दे दो.. मैं इस्तीफा दे देता।'
अखिलेश यादव का दर्द यहीं नहीं रुका उन्होंने अपने पिता के सामने ये भी कहा कि उनके करियर को बर्बाद करने की साजिश की जा रही है। और इशारा शिवपाल यादव की तरफ था।
उन्होंने कहा, 'मुझसे कोई सवाल पूछेगा उसका जवाब देने के लिए मैं तैयार हूं। लेकिन मेरा करियर या आपका करियर है आपकी पार्टी है। तो मेरा भी करियर है। तो मैं भी बर्बाद हुआ हूं। मैं दूसरा कोई काम नहीं कर सकता। मैं कौन सा दूसरा काम करूंगा। जिस ऊंचाई पर पहुंचाया है आपने मुझे। आप कहते ऊंचाई से हट जाओ और चले जाओ कहीं और।'
अखिलेश यादव ने इस इमोशनल सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की। एक तरफ शिवपाल पर हमला तो दूसरी तरफ पिता को मनाने की कोशिश बैठक में उनके समर्थन में नारे भी लगे लेकिन मुलायम पर इसका कोई असर नहीं दिखा क्योंकि वो आखिर तक चाचा और भतीजे के बीच शक्ति संतुलन बनाने में जुटे रहे।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मुलायम अपना कुनबा बचा लेंगे या फिर समाजवादी पार्टी ही दो धड़ों में बंट जाएगी।
Source : News Nation Bureau