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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई शिक्षा नीति को समय की मांग बताते हुए राज्यों से राय मशविरा शुरू कर दिया है। जानकारी के मुताबिक एक बार फिर से सीबीएसई 10वीं में बोर्ड की परीक्षा अनिवार्य हो जाएगी। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 25 अक्तूबर को होने वाली बैठक में इस पर प्रस्ताव लाया जाएगा।
फिलहाल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को छोड़कर किसी भी बोर्ड में 10वीं की परीक्षा वैकल्पिक नहीं है। मंत्रालय ने मंगलवार की बैठक की कार्यसूची में कुछ नए प्रस्ताव जोड़े हैं। इनमें10वीं बोर्ड की परीक्षा को अनिवार्य बनाने, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को ज़्यादा व्यवहारिक बनाने, शिक्षा को तनावमुक्त बनाने, नेशनल एचीवमेंट सर्वे करने, सेकेंडरी कक्षाओं में व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार करने, सीखने की प्रवृत्ति में सुधार करने जैसे मुद्दे शामिल हैं। हालांकि इन पर राज्यों के विचार जानने के बाद ही सरकार कदम बढ़ाएगी।
काफी समय से शिक्षा मामलों के जानकार भी मांग कर रहे हैं कि पुराने पैटर्न की वजह से छात्रों को नुकसान हो रहा है। अगर 10वीं में बोर्ड होगा तो बच्चे खुद को 12वीं की परीक्षा के लिए और ज़्यादा बेहतर तैयार कर पाएंगे।
एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि लंबे समय से शिक्षा नीति में बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है। नई नीति में सिर्फ रोजगार देने वाली शिक्षा ही नहीं, बल्कि बेहतर नागरिक बनाने के ऊपर भी जोर दिया जा रहा है। सरकार सीबीएसई-प्लस ग्रेड स्कूल खोलने पर भी विचार कर रही है। इन स्कूलों में पारंपरिक शिक्षा के साथ ही बच्चों में जीवन मूल्यों को विकसित करने पर भी जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कक्षा एक से आठवीं तक फेल न करने की नीति पर भी राज्यों की सलाह ली जा रही है।
आपको बता दें कि 2011 में यूपीए-2 के कार्यकाल में सतत एवं समग्र मूल्यांकन नियम शुरू किया गया था। इसके तहत तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने 10वीं में बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बना दिया था। जिसके बाद से 70 फीसदी के करीब छात्र सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा नहीं देते हैं, जबकि 30 फीसदी अब भी यह परीक्षा देते हैं।
हालांकि इससे पहले स्मृति ईरानी ने मानव संसाधन विकास मंत्री रहते हुए किसी भी तरह के बदलाव से इनकार कर दिया था और कहा था कि 10वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बनाने से शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है। ऐसे में इसे फिर से अनिवार्य करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
Source : News Nation Bureau
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