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गाजियाबाद से पहले यहां भी किए गए थे जबरन 'जय श्रीराम' बुलवाने का दावे, मगर ये थी सच्चाई

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक बुजुर्ग की पिटाई के मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है.

Updated on: 17 Jun 2021, 01:02 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक बुजुर्ग की पिटाई के मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है. मामला हिंदू और मुस्लिम से जुड़ा है, लिहाजा यह अब पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है और लगातार इसे सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश जमकर हो रही है. ऐसा इसलिए कि जिस अब्दुल समद नाम के बुजुर्ग की पिटाई की गई, उस पीड़ित ने आरोप लगाए हैं कि पीटने वालों ने उससे जय श्रीराम के नारे लगवाए थे. हालांकि सिर्फ गाजियाबाद का ये पहला मामला नहीं है, जहां जय श्रीराम का नाम आने के बाद सियासी हंगामा मचा हुआ है, इससे पहले भी बहुत से ऐसे केस सामने आ चुके हैं. जिनमें से कुछ मामलों के बारे में हम आपको बता रहे हैं.

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जब झूठ निकला जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने वाला दावा

  • पिछले महीने 16 मई को हरियाणा में मेवात के खलीलपुर गांव के आसिफ खान की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों ने अफवाह फैला दी थी. ट्विटर पर कई लोगों ने लिखा कि जय श्रीराम नहीं बोलने की वजह से आसिफ की हत्या की गई. हालांकि पुलिस ने इसे पुरानी रंजिश का मामला बताया.
  • पिछले साल 8 अगस्त को राजस्थान के सीकर में एक बुजुर्ग मुस्लिम ऑटो ड्राइवर की पिटाई कर दी गई थी. पीड़ित के मुताबिक पिटाई करने वालों ने उन्हें जय श्री राम और मोदी जिंदाबाद कहने के लिए कहा था. हालांकि पुलिस ने बताया की प्रारंभिक जांच में पता चला की आरोपियों ने शराब के नशे में पीड़ित की पिटाई की थी.
  • जुलाई 2019 में बागपत के एक इमाम, इमलाक रहमान ने कहा था कि कुछ युवकों ने मारपीट कर उनकी दाढ़ी नोच ली और उन पर 'जय श्रीराम' कहने का दबाव बनाया. पुलिस ने 12 लड़कों को गिरफ्तार करते हुए साफ किया था कि ये सिर्फ मारपीट का मामला है. जो धार्मिक रंग इसे दिया जा रहा है, ऐसा बिल्कुल नहीं है. पुलिस ने इस घटना के बाद तत्काल मुकदमा दर्ज किया, लेकिन उसे जांच में कोई धार्मिक एंगल नहीं मिला.
  • 11 जुलाई 2019 की शाम यूपी के उन्वाव में जीआईसी मैदान में मदरसा के छात्र क्रिकेट मैच खेल रहे थे. तभी पास में ही बैठे चार युवकों ने बार बार गेंद आने पर उन्हें खदेड़ दिया था. मारपीट की घटना की जानकारी जब मदरसा के प्रिंसिपल को हुई तो उन्होंने मजहबी नारे लगवाने का आरोप लगा पुलिस को तहरीर दी थी. बाद में पुलिस ने कहा कि वहां पर कोई नारा नहीं लगाया गया था, ये लड़ाई बच्चों के खेल में हुई थी. इस मामले में एडीजी लॉ पीवी राम शास्त्री ने कहा कि केवल अराजक तत्वों ने माहौल खराब करने का काम किया था.
  • सितंबर 2017 में नोएडा में एक मुस्लिम कैब ड्राइवर की हत्या कर हुई थी. कहा गया कि उसे जय श्रीराम कहने को कहा गया और शराब पिलाई गई थी. हालांकि बाद में पुलिस ने इसे लूटपाट करने वाले गैंग की कारस्तानी बताया था.

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इसके अलावा भी बहुत से ऐसे मामले रहे हैं, जिनको सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश हुई. खासकर 'जय श्री राम' के नारे को बदनाम करने के लिए बहुत से केसों में झूठ भी सामने आया. 'जय श्री राम' के मसले पर विवाद खासकर भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद से ज्यादा हुआ है. 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से लेकर अब तक बहुत से मामलों में 'जय श्री राम' का नारा जबरन जोड़ा गया.

गाजियाबाद के मामले में अब तक कैसे क्या हुआ?

  • 5 जून को सूफी अब्दुल समद सैफी के साथ मारपीट की घटना हुई.
  • 7 जून को सूफी अब्दुल समद सैफी ने समाजवादी पार्टी के लीडर उम्मेद पहलवान इदरीसी के साथ घटना की एफआईआर दर्ज करवाई. पुलिस ने अनाम लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली.
  • 7 जून को लोनी के एसपी लीडर उम्मेद पहलवान इदरीसी ने अब्दुल समद के साथ फेसबुक लाइव किया.
  • फेसबुक लाइव में सूफी अब्दुल समद सैफ़ी ने कहा कि उन्हें किडनेप किया गया. पीटा गया और 'जय श्रीराम' के नारे लगवाए गए. दाढ़ी काट दी गई.
  • 14 जून को ऑल्ट न्यूज के मोहम्मद ज़ुबैर ने सूफी अब्दुल समद सैफ़ी के साथ हुई घटना का वीडियो ट्विटर पर डाल दिया. देखते ही देखते वीडियो वायरल हो गया.
  • उसी दिन मश्कूर उस्मानी ने इस वीडियो को लेकर ट्वीट किया.
  • डॉक्टर शमा मोहम्मद ने भी इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी.
  • 15 जून को राहुल गांधी ने ट्वीट किया और घटना को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी.
  • इसी दिन गाजियाबाद पुलिस ने मामले में 3 लोगों की गिरफ्तारी की जानकारी दी.
  • 15 जून की रात 11 बजकर 20 मिनट पर टि्वटर समेत कई लोगों के खिलाफ गाजियाबाद के लोनी में शिकायत दी गई.
  • 17 जून को मामले में अब्दुल समद के वीडियो सामने आए. इस दौरान समद ने अपना बयान भी बदला.