राफेल डील : प्रशांत भूषण और अटॉर्नी जनरल की दलीलों के बाद सुनवाई पूरी, कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
प्रशांत भूषण ने कहा, ये फैसला सरकार की ओर से दी गई गुमराह करने और ग़लत जानकारी पर आधारित है, इसी वजह से हम पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं.
highlights
- प्रशांत भूषण बोले, एक्सपर्ट ने कीमत को लेकर सवाल उठाए थे
- एक अफसर ने पीएमओ के दखल पर उठाया था सवाल: भूषण
- संजय सिंह के वकील को दलीलें पेश करने की अनुमति नहीं मिली
नई दिल्ली:
राफेल डील (Rafale Deal) को लेकर दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने शुक्रवार को कहा- हम आज ही इस मामले की सुनवाई पूरी करेंगे. उन्होंने अधिवक्ता प्रशांत भूषण और अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल एक-एक घंटे में अपनी बात रखने की बात कही थी. दोनों की दलीलें पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
इसके बाद याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश होते हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने कहा, "दिसंबर 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि हम राफेल डील के कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने की मांग कर रहे थे, जबकि ऐसा कुछ नहीं है. हम सिर्फ इस मामले में एफआईआर दर्ज़ कर जांच करने की मांग कर रहे थे."
प्रशांत भूषण ने कहा, "ये फैसला सरकार की ओर से दी गई गुमराह करने और ग़लत जानकारी पर आधारित है, इसी वजह से हम पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं. उन्होंने सवाल करते हुए कहा, "सरकार को कैसे मालूम था कि कैग अपनी रिपोर्ट में राफेल सौदे की कीमतों के बारे में जानकारी को सार्वजनिक नहीं करेगा. कैग की रिपोर्ट फरवरी में आई, जबकि उससे पहले ही सरकार कैसे कह सकती है कि कैग ये जानकारी सार्वजनिक नहीं करेगा."
प्रशांत भूषण बोले, "पिछले साल सितम्बर में हुई कैबिनेट कमेटी की मीटिंग में रक्षा खरीद प्रक्रिया से जुड़े आठ अहम क्लॉज़ को ड्राप कर दिया गया. सरकार ने इस जानकारी को कोर्ट से छुपाया. ये अपने आप में खुद इस डील में जांच का आधार है. इस सौदे में कोई बैंक गारंटी या सम्प्रभु गांरटी नहीं है. केवल एक letter of comfort है, जो कतई आश्वस्त नहीं करता."
प्रशांत भूषण ने यह भी कहा कि यहां तक कि एयरक्राफ्ट की डिलीवरी भी देरी से हो रही है, जबकि इससे पहले ये दलील दी गई थी कि 36 एयरक्राफ्ट का सौदा इसलिए किया गया ताकि जल्दी डिलीवरी संभव हो सके.
प्रशान्त भूषण ने कहा- सौदे के लिए वार्ताकारों की टीम में तीन डिफेंस एक्सपर्ट ने राफेल की कीमत को लेकर अपना ऐतराज जताया था. क्या सरकार को इसकी जानकारी कोर्ट को नहीं देनी चाहिए थी? प्रशांत भूषण ने सौदे के लिए पीएम ऑफिस की ओर से ही रही बातचीत पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, वार्ताकारों की टीम के एक अफसर ने ऐतराज जताया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के दख़ल के चलते सौदेबाजी पर असर पड़ा.
प्रशांत भूषण ने कहा, कुछ नई जानकारी सामने आई है. अनिल अंबानी (Anil Ambani) और फ्रांस के अफसरों के बीच बातचीत हुई, उसी वक्त प्रधानमंत्री ने डील को लेकर बयान जारी किया. इसी वक्त अनिल अंबानी को भी फ्रांस से टैक्स में बड़ी छूट भी मिली. ये एक दूसरे को फायदा पहुँचने का सौदा है.
प्रशांत भूषण के बाद आप नेता संजय सिंह (Sanjay Singh) के वकील ने भी अपनी बात रखनी चाही, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सुनने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा- हम पहले भी साफ कर चुके हैं कि हम आपको नहीं सुनेंगे. इससे पहले कोर्ट ने संजय सिंह के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की म्युनिसिपल कोर्ट के आदेश से तुलना करने पर नाराजगी जताई थी.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (KK Venugopal) दलीलें पेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "रक्षा सौदे से जुड़े होने के कारण ही सरकार ने रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दी थी. किसी दस्तावेज़ को गलत समझ लेना पूरे फैसले के पुनर्विचार का आधार नहीं हो सकता है. हर आपत्ति का जवाब कैग की रिपोर्ट में दिया गया है. इस मामले से देश की सुरक्षा जुड़ी है. ये कोई आम सौदा नहीं है." राफेल डील मामले में सुनवाई पूरी हो गई है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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