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CJI ने 'फास्टर' सॉफ्टवेयर किया लॉन्च, अदालती आदेश होंगे तेजी से प्रसारित  

सीजेआई ने कहा, ‘‘रजिस्ट्री ने एनआईसी के साथ मिलकर युद्ध स्तर पर फास्टर प्रणाली विकसित की है.

Updated on: 31 Mar 2022, 04:08 PM

नई दिल्ली:

भारत की अदालती प्रक्रिया बहुत धीमी है. किसी भी मुकदमे की सुनवाई और फैसला आने में वर्षों लग जाता है. फैसला आने के बाद भी संबंधित पक्ष कई दिनों तक फैसले की कॉपी के लिए भटकते रहते हैं.  भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन वी रमण ने इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अदालत के आदेशों को तेजी से और सुरक्षित प्रसारित करने वाले एक सॉफ्टवेयर फास्टर (FASTER) का बृहस्पतिवार को शुभारंभ किया. इससे न्यायिक आदेशों को तत्काल प्रसारित करने में मदद मिलेगी.

सीजेआई रमण के साथ न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश तथा न्यायाधीश ‘फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स’ (फास्टर) सॉफ्टवेयर के ऑनलाइन उद्घाटन के मौके पर मौजूद रहे.

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सीजेआई ने कहा, ‘‘रजिस्ट्री ने एनआईसी के साथ मिलकर युद्ध स्तर पर फास्टर प्रणाली विकसित की है. इस प्रणाली के जरिए भारत के सभी जिलों तक पहुंचने के लिए अभी तक विभिन्न स्तरों पर 73 नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं. सभी नोडल अधिकारी सुरक्षित मार्ग बनाकर विशेष न्यायिक संचार नेटवर्क जेसीएन के जरिए जुड़े हुए हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘देशभर में इस प्रणाली के लिए कुल 1,887 ई-मेल आईडी बनायी गयी है. उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में फास्टर प्रकोष्ठ बनाया गया है. यह इस अदालत द्वारा पारित जमानत और रिहाई से संबंधित आदेशों और सुनवाई के रिकॉर्ड ईमेल के जरिए संबंधित नोडल अधिकारियों और ड्यूटी धारकों को प्रसारित करेगा.’’

सीजेआई ने कहा कि प्रामाणिकता के उद्देश्य से ऐसे सभी आदेश या सुनवाई के रिकॉर्ड्स में उच्चतम न्यायालय के प्राधिकृत नोडल अधिकारियों के डिजीटल हस्ताक्षर होंगे. इस तरीके से ज्यादा वक्त गंवाए बिना सभी संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के लिए ऐसे आदेश मिल जाएंगे.

कार्यक्रम में न्यायाधीश रमण ने उम्मीद जतायी कि निकट भविष्य में परियोजना के दूसरे चरण के तौर पर उच्चतम न्यायालय इस प्रणाली के रजिए सभी रिकॉर्ड प्रसारित करने में समक्ष हो जाएगा. उन्होंने बहुत कम वक्त में इसे शुरू करने के लिए महासचिव, रजिस्ट्रार और एनआईसी के अधिकारियों की तारीफ की तथा उच्च न्यायालयों और विभिन्न अन्य प्राधिकारियों का उनके सहयोग के लिए भी आभार व्यक्त किया.

सीजेआई रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने न्यायिक आदेश न मिलने या उनका सत्यापन न होने जैसे आधार पर जमानत मिलने के बाद भी दोषियों की रिहाई में देरी पर स्वत: संज्ञान लिया था, जिसके बाद फास्टर सॉफ्टवेयर लाया गया है.

सीजेआई ने तब कहा था, ‘‘तकनीक के इस आधुनिक युग में, हम अपने संदेश भेजने के वास्ते कबूतरों के लिए आसमान की ओर क्यों देख रहे हैं?’’