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नागरिकता संशोधन बिल का सुप्रीम कोर्ट में जाना तय, इन्होंने दिए संकेत( Photo Credit : ANI Twitter)
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नागरिकता संशोधन बिल का सुप्रीम कोर्ट में जाना तय, इन्होंने दिए संकेत( Photo Credit : ANI Twitter)
नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) संसद (Parliament) के दोनों सदनों से पारित हो चुका है. जल्द ही इस बिल पर राष्ट्रपति (President) की मुहर भी लग जाने की उम्मीद है. उसके बाद यह लागू हो जाएगा. हालांकि नागरिकता संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की पूरी उम्मीद है. बुधवार को राज्यसभा में बहस के दौरान कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं ने इस बात के संकेत भी दिए. पहले पी चिदंबरम (P. Chidambaram) और फिर कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने बहस के दौरान कहा, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में यह बिल सिरे से खारिज हो जाएगा. दोनों नेता सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी हैं, इसलिए उनकी बात को नजरंदाज करना उचित नहीं होगा. इंडियन मुस्लिम लीग ने तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला भी कर लिया है. हालांकि गृह मंत्री ने इसके जवाब में कहा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संसद को सुप्रीम कोर्ट का डर दिखा रहे हैं, लेकिन हम अपना काम करने से पीछे नहीं हटेंगे.
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर बहस के दौरान इसे असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा, इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और पूरा यकीन है कि वहां इसे खारिज कर दिया जाएगा. चिदंबरम ने कहा, मैं सरकार से कानूनी विभाग की राय लेने की चुनौती देता हूं. मैं सरकार से अटॉर्नी जनरल को सवालों के जवाब देने के लिए आमंत्रित करने की चुनौती देता हूं. संविधान का एक हिस्सा इन घातक लोगों द्वारा लूटा जा रहा है और ध्वस्त किया जा रहा है." इसके जवाब में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, सरकार हर बिल पर कानून विभाग की राय लेती है.
पी. चिदंबरम ने कहा, भारत के पास नागरिकता अधिनियम है. यह जन्म से नागरिकता, वंश द्वारा नागरिकता, पंजीकरण द्वारा नागरिकता, प्राकृतिकीकरण द्वारा नागरिकता और क्षेत्र के समावेश द्वारा नागरिकता को मान्यता देता है और ये सार्वभौमिक सिद्धांत हैं. उन्होंने कहा कि अब यह सरकार एक नई श्रेणी की शुरुआत कर रही है.
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उन्होंने कहा कि मैं इस संसद से सरकार का विरोध करने के लिए कह रहा हूं, क्योंकि यह असंवैधानिक कदम है. चिदंबरम ने कहा कि सांसद जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं और उनकी यह जिम्मेदारी है कि उन्हें उसी विधेयक को पारित करना चाहिए, जो संवैधानिक हो.
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम सभी वकील नहीं हैं, मगर वास्तव में हम सभी को वकील होना चाहिए, ताकि हमारे अंदर वह ज्ञान और संवाद हो, ताकि हम देख सकें कि क्या संवैधानिक है और क्या नहीं.
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इससे पहले, मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इसके अलावा एससी-एसटी संविधान संशोधन विधेयक भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो