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नागरिकता संशोधन बिल की राहें कितनी आसान? क्या कहता है राज्यसभा का समीकरण

राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होने के लिए 121 वोटों की दरकरार रहेगी. क्योंकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में फिलहाल प्रभावी सदस्यों की संख्‍या 240 है.

Updated on: 10 Dec 2019, 11:29 PM

नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) को लेकर संसद से सड़क तक घमासान मचा हुआ है. लोकसभा में यह बिल पारित हो चुका है और राज्यसभा में कल यानी बुधवार को इसे पेश किया जाएगा. लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 311 वोट मिले थे जबकि विरोध में महज 80 मत पड़े थे. बीजेपी राज्यसभा में भी इस बिल को लेकर आश्वसत है. उसका कहना है कि राज्यसभा में भी बिल पास हो जाएगा. राज्यसभा में इस बिल की राहें कैसी होंगी.

राज्यसभा में बिल पास करने के लिए 121 वोट की दरकार

राज्यसभा में बिल पास होने के लिए 121 वोटों की दरकरार रहेगी. क्योंकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में फिलहाल प्रभावी सदस्यों की संख्‍या 240 है. फिलहाल राज्यसभा में 5 सीटें रिक्त है. बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों (NDA) के पास 105 का आंकड़ा है. वहीं वाईएसआर कांग्रेस और बीजद (BJD) जैसे दलों का समर्थन भी उसे मिलेगा. क्योंकि लोकसभा में बीजेड और वाईएसआर ने इस बिल का समर्थन किया है.

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सत्ता दल की राह आसान क्योंकि मत में पड़ सकते हैं जरूरत से ज्यादा वोट

उच्च सदन में बीजेपी के 83 सांसद है. मतलब यह कि इस विधेयक को क़ानून की शक्ल देने के लिए बीजेपी को राज्यसभा में अन्य 37 सासंदों का समर्थन जुटाना होगा. अगर बीजेपी के सहयोगियों की बात करें तो जेडीयू के 6, बीजेडी के 7, एसएडी के 3, एआईएडीएमके के 1, वाईएसआर कांग्रेस के 2, आरपीआई के 1, एलजेपी के 1, टीडीपी के 2, एजीपी के 1, बीपीएफ के 1, एनपीएफ के 1, एसडीएफ के 1, नॉमिनेटेड 3 सदस्य, निर्दलीय एवं अन्य 4 सदस्यों के साथ कुल 127 सांसद हैं. ये सांसद बिल के पक्ष में वोट कर सकते हैं. 

बिल को रोकने में विपक्ष कितना होगा कामयाब?

दूसरी ओर, यूपीए (UPA) के 62 सदस्य हैं. इनमें 46 सांसद कांग्रेस के हैं जबकि आरजेडी के 4, एनसीपी के 4 और डीएमके के 5 सांसद हैं. अन्य यूपीए सहयोगियों के 3 सांसद हैं. इसके अलावा इस बिल के खिलाफ सपा के 4, आप के 3, बसपा के 4, सीपीआई के 1, सीपीएम के 5, डीएमके के 5, आईयूएमएल के 1, पीडीपी के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस एम के 1, एमडीएमके के 1, पीएमके के 1, शिवसेना के 3, टीआरएस के 6, 1 नॉमिनेटेड सदस्य और 2 निर्दलीय हैं. यानी कुल 113 सांसद है जो इस बिल के विरोध में वोट कर सकते हैं.

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हालांकि बीजेपी सरकार के पक्ष में बिल को पास कराने से ज्यादा मत है. लेकिन जिस तरह से जेडीयू के नेता प्रशांत किशोर ने अपना रूख स्पष्ट किया है उसे देखते हुए राज्यसभा में जेडीयू इस बिल के विरोध में जा सकती है. या फिर वोटिंग नहीं करेगी.

वहीं, बिल पर कुछ बदलाव के साथ जाने की बात करने वाली शिवसेना भी राज्यसभा में अलग रुख अपना सकती है. आंकड़ों की बात करें तो राज्यसभा में भी बीजेपी सरकार की राहें आसान रहेगी. वो बहुत ही आसानी से इस बिल को पास करा लेगी.

बिल पास होने पर विपक्ष उठा सकता है ये कदम 

अगर राज्यसभा में यह बिल पास हो जाता है तो विपक्षी दल इस विधेयक को समीक्षा प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) से करवाने के लिए दबाव डाल सकते हैं. बताया जा रहा है कि कांग्रेस, डीएमके और वाम दलो ने इस पर रणनीति बना रही है. राज्यसभा में ये पार्टियां ये कहेंगी कि नागरिकता बिल भारत की नागरिकता क़ानूनों की नींव में भारी बदलाव करेगा. इस लिहाजा से समीक्षा के लिए एक सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए.