logo-image

लद्दाख के अलावा इन इलाकों से भी घुसपैठ की फिराक में चीन, हाई अलर्ट पर सेना

भारत-चीन में जारी तनाव के बीच अब एक और अहम खबर सामने आई है. बताया जा रहा है लद्दाख के अलावा ऐसे कई इलाके हैं जहां से चीन घुसपैठ की फिराक में है.

Updated on: 01 Sep 2020, 10:36 AM

नई दिल्ली:

भारत-चीन में जारी तनाव के बीच अब एक और अहम खबर सामने आई है. बताया जा रहा है लद्दाख के अलावा ऐसे कई इलाके हैं जहां से चीन घुसपैठ की फिराक में है. इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड और हिमाचल के 5 ऐसे सीमावर्ती इलाके है जिनमे चीन घुसपैठ की कोशिस कर सकता है. इन इलाकों में चुवा-चूजे(हिमाचल के लाहौल और स्पीति जिले से लगा इलाका), शिपकी ला(किन्नौर जिला), नीलांग- जधांग(उत्तरकाशी जिला, तिब्बत बॉर्डर), बराहोती(उत्तराखंड), लपथाल(पिथौरागढ़) और लिपुलेख इलाका शामिल है.

इस जानकारी के बाद से ही सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रख दिया गया है. इन इलाकों में चीन समय-समय पर ट्रांस ग्रेशन करता रहा है. 

यह भी पढ़ें:  प्रणब मुखर्जी का आज 2.30 बजे अंतिम संस्कार, 7 दिन का राष्ट्रीय शोक 

बता दें, कई दौर की बातचीत के बावजूद, पूर्वी लद्दाख में तनाव कम नहीं हो रहा है. जुलाई की हिंसक (Standoff) झड़प के बाद 29-30 अगस्त की दरमियानी रात भारत और पिपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक पूर्वी लद्दाख में पैंगोग झील (Pangong Tso) के दक्षिणी तट पर एक बार फिर आमने-सामने आ गए. प्रेस इन्‍फॉर्मेशन ब्‍यूरो से जानकारी के अनुसार, चीनी सैनिकों ने बातचीत से इतर जाते हुए मूवमेंट आगे बढ़ाया. इस पर पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सैनिकों की गतिविधियों का भारतीय सेना ने विरोध किया.

जानकारी के अनुसार, सेना ने चीन को आगे बढ़ने नहीं दिया. भारत ने इस इलाके में तैनाती और बढ़ा दी है. इस झड़प के बावजूद, चुशूल में ब्रिगेड कमांडर लेवल की फ्लैग मीटिंग चल रही है. इसके पहले दोनों ही देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य बातचीत के जरिये नियंत्रण रेखा पर गतिरोध दूर करने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है. इनमें चीन एक कदम पीछे और दो कदम आगे की रणनीति पर कायम दिखा.

यह भी पढ़ें: स्कूल से लेकर मेट्रो तक... जानें अनलॉक-4 में क्या खुलेगा और किस पर रहेगी रोक

भारतीय सेना का साफतौर पर कहना है कि चीन को अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल करनी चाहिए. सैन्‍य स्‍तर पर बातचीत के अलावा विदेश मंत्रालय और दोनों देशों के वर्किंग मकैनिज्म फॉर कंसल्टेशन ऐंड को-ऑर्डिनेशन ने भी चर्चा की है. दोनों पक्ष कंपलीट डिसइंगेजमेंट की दिशा में आगे बढ़ने पर बार-बार सहमत हुए हैं लेकिन धरातल पर असर नहीं हुआ.