LAC पर चीन के इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को यूएस जनरल ने खतरनाक बताया तो इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने कहा कि इस तरह के बयान आग में घी डालने वाले हैं. वहीं, इस पूरे प्रकरण पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने न्यूज नेशन के सवाल पर जवाब दिया है. "हमने ये रिपोर्टें देखी हैं, जबकि हम उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे जो General Flynn ने कहा है" न्यूज नेशन ने विदेश मंत्रालय से चीन के साथ जारी तनाव, जारी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और प्रस्तावित कमांडर कांफ्रेंस सहित अटके पड़े डिसेंगेजमेंट पर सवाल किया, जिसके जवाब में बागची ने कहा कि "हम इस बात पर जोर देना चाहेंगे, जैसा कि हमने अतीत में किया है, कि भारत सरकार चीनी पक्ष द्वारा हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित सभी developments की सावधानीपूर्वक निगरानी करती है, जिसमें पश्चिमी क्षेत्र और अधिक गहराई वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण शामिल हैं.
सरकार क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी पर्याप्त और उचित उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है और करती है, जैसा कि हाल के वर्षों में हुई घटनाओं से स्पष्ट होता है. भारत सरकार ने न केवल भारत की सामरिक और सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बल्कि इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए हाल के वर्षों में कई उपाय किए हैं.
जहां तक मौजूदा स्थिति का सवाल है, जैसा कि आप जानते हैं, हमने राजनयिक और सैन्य दोनों माध्यमों से चीनी पक्ष के साथ निरंतर संवाद बनाए रखा है. वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के 15 दौर और WMCC की बैठकों के 10 दौर हो चुके हैं. हमारे बीच विदेश मंत्रियों, रक्षा मंत्रियों और एनएसए तथा उनके समकक्ष के स्तर पर भी संवाद हुआ है. इससे कुछ प्रगति हुई है, क्योंकि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में LAC के साथ कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक disengage हो गए हैं. हम शेष मुद्दों को हल करने के लिए चीनी पक्ष के साथ अपनी बातचीत जारी रखेंगे.
दोनों पक्ष WMCC में पिछले सप्ताह वरिष्ठ कमांडरों की एक और बैठक आयोजित करने पर भी सहमत हुए हैं. यह हमारी अपेक्षा है कि इन वार्ताओं में चीनी पक्ष भारतीय पक्ष के साथ शेष मुद्दों के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए काम करेगा, इस तथ्य को देखते हुए कि दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हैं कि मौजूदा स्थिति को लंबा खींचना किसी भी पक्ष या समग्र संबंधों के हित में नहीं है. हमने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि सामान्य स्थिति की बहाली के लिए स्पष्ट रूप से LAC पर शांति की बहाली की आवश्यकता होगी, जो 2020 में चीनी कार्रवाइयों से disturb हो गई थी."
भारत चीन LAC विवाद के दो साल पूरे हो चुके हैं. 15 जून की गलवान हिंसा के बाद युद्ध के मंडराते बादल समय के साथ जरूर साफ हुए, लेकिन तनाव के बादल अभी भी बरकरार है. इस दौरान कुछ पॉइंट्स पर डिसेंगेजमेंट हुआ, लेकिन अभी भी ईस्टर्न लद्दाख के बड़े हिस्से में आमने सामने सेनाएं खड़ी हैं और वहां डिसेंगेजमेंट होना बाकी है. इस दरम्यान चीन की तरफ से जारी सैन्य निर्माण, पक्के बंकर, अत्याधुनिक हथियारों की तैनाती और पांगोंग पर बन रहे पुल से चीन की नियत में खोंट और युद्ध की रणनीति का साफ पता चलता है, जिसपर भारत पैनी निगाह बनाए हुए हैं.
Source : Madhurendra Kumar