अफ्रीका के जिबूती में चीन ने अपने बेस कैंप में सैनिक भेजने शुरू किए, बढ़ सकती है भारत की चिंता
एक तरफ बंगाल की खाड़ी में भारत, अमेरिका और जापान की सेना संयुक्त युद्धाभ्यास में लगी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ चीन ने अफ्रीकी क्षेत्र जिबूती में अपने पहले विदेशी बेस कैंप में सैनिकों को भेजना शुरू कर दिया है।
highlights
- चीन ने अफ्रीका के जिबूती बेस कैंप ने सैनिक भेजने शुरू किए
- चीन के अपने पहले विदेशी बेस कैंप में सैनिक भेजने से बढ़ सकती है भारत की चिंता
नई दिल्ली:
एक तरफ बंगाल की खाड़ी में भारत, अमेरिका और जापान की सेना संयुक्त युद्धाभ्यास में लगी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ चीन ने अफ्रीकी क्षेत्र जिबूती में अपने पहले विदेशी बेस कैंप में सैनिकों को भेजना शुरू कर दिया है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैन्य अड्डे के प्रभारी के विदाई समारोह के बाद सैनिकों और सैन्य उपकरणों को लेकर दो जहाज दक्षिणी बंदरगाह झानजियांग से मंगलवार को रवाना हुआ है।
चीन वैश्विक मंच पर अपनी पैठ बनाने के लिए वहां अपना बेस कैंप बना रहा है। हालांकि चीन ऐसा करने वाले पहला देश नहीं है। इससे पहले अमेरिका, फ्रांस, जापान और इटली भी लहां कई छोटे सैनिक ठिकाने बना चुके हैं। अमेरिकी सेना के तो करीब 4000 जवान वहां बेस कैंप में रहते हैं।
इन सभी देशों की सेना क्षेत्र के अलग-अलग देशों में मानवीय सहायता के लिए आने वाले जहाजों के रास्ते को सुरक्षित करने में मदद करती है और समुद्री डाकुओं से सुरक्षा प्रदान करती है।
हालांकि चीन इस सैन्य बेस को हमेशा लॉजिस्टिक बेस बताता रहा है और दावा करता है कि सोमालिया और यमन में मानवीय मदद और शांति के काम में लगे नौसैनिकों की मदद के लिए बेस बना रहा है लेकिन ये चीन के सामरिक रणनीति का हिस्सा रहा है।
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जिबूती को दुनिया के सबसे व्यस्तम ट्रेड रूटों में से एक माना जाता है। यहां ना तो प्राकृतिक संसाधन है और ना ही रोजगार है फिर भी ये वैश्विक मंच पर काफी महत्व रखता है। इस इलाके में सोमिलियाई डाकू और अस शबाब के आतंकवादियों का बेहद प्रभाव माना जाता है।
चीन के इस कदम से वैश्विक चिंता उभर रही है। माना जा रहा है कि अमेरिका और भारत की गहरी दोस्ती को देखते हुए चीन इस इलाके में दूसरे देशों की सेना से गठजोड़ भी कर सकता है जो भारत के लिए खतरा बन सकता है। अफ्रीकी देशों में चीन ने भारी निवेश कर रखा है।
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