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CPEC के चलते कश्मीर पर अपने रुख में कोई बदलाव नहीं करेगा चीन, पाक मीडिया रिपोर्ट्स का किया खंडन

चीन ने साफ किया है कि यह आर्थिक गलियारा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का महत्वपूर्ण कदम है जिसे सरकार स्थानीय लोगों की बेहतरी के लिए ला रही है।

Updated on: 28 Mar 2017, 09:52 AM

highlights

  • सीपीईसी की वजह से चीन के कश्मीर के रुख में कोई बदलाव नहीं
  • सीपीईसी चीन के राष्ट्रपति का बहुप्रतिक्षित प्रोजेक्ट है, इससे स्थानीय लोगों का विकास होगा
  • सीपीईसी के लिए पाकिस्तान पर पर चीन का दबाव बताने वाली पाक मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया 

नई दिल्ली:

चीन ने साफ किया है कि गिलगिट बाल्टिस्तान से होते हुए उसके और पाकिस्तान के बीच बनने वाले 46 अरब डॉलर का सीपीईसी प्रोजेक्ट की वजह से चीन के कश्मीर पर रुख में कोई बदलाव नहीं आएगा।

चीन के इस बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट के बारे में चीन ने साफ किया है कि यह आर्थिक गलियारा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का महत्वपूर्ण कदम है जिसे सरकार स्थानीय लोगों की बेहतरी के लिए ला रही है।

चीन का कहना है, 'सीपीईसी का निर्माण कश्मीर मुद्दे पर चीन की स्थिति को प्रभावित नहीं करेगा।'

हाल ही में ब्रिटिश संसद में पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगिल बाल्टिस्तान से होते हुए पाकिस्तान और चीन के बीच बनने वाले इकनॉमिक कॉरीडोर सीपीईसी पर पाकिस्तान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया गया था।

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यह मोशन(प्रस्ताव) संसद में कंजर्वेटिव एमपी बॉब ब्लैकमैन ने पेश किया था। बॉब ब्लैक मैन पहले भी कश्मीरी पंडितों के हक में बोलते रहे हैं। बॉब ने ब्रिटिश संसद में पाकिस्तान के पाक अधिकृत क्षेत्र पर अवैध कब्जे़ की बात करते हुए निंदा प्रस्ताव पेश किया था।

प्रस्ताव में कहा गया है कि गिलगिट -बाल्टिस्तान संवैधानिक रुप से भारत का हिस्सा है जिसे 1947 से पाकिस्तान ने अवैध रुप से कब्ज़ा कर रखा है। ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान गिलगिट-बाल्टिस्तान को अपना पांचवा प्रांत बनाने की तैयारी में है। चीन ने अब कहा है कि कश्मीर पर उनका रुख पहले की भांति ही है। 

चीन के विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश संसद में पेश पाकिस्तान के निंदा प्रस्ताव पर कहा है कि यह एक सदस्य द्वारा पेश किया गया प्रस्ताव है रिजोल्यूशन नहीं।

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि सीपीईसी का हिस्सा बनने वाले दो क्षेत्रों की विवादित स्थिति पर सात दशक से स्वतंत्रता के बाद गिलगित-बाल्तिस्तान को नए प्रांत के रूप में शामिल करने के लिए चीन का दबाव डाला गया था।

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चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, 'कश्मीर मुद्दे पर चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। 'यह मुद्दा दो देशों भारत और पाकिस्तान के बीच का है, जिसे इतिहास में छोड़ दिया गया है। इसे दोनों देशों के बीच बातचीत और सुझावों के साथ सुलझाया जाना चाहिए।'

ब्रिटिश संसद में पेश प्रस्ताव पर कहा गया है कि, ' चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा राज्य विषय अध्यादेश के उल्लंघन में क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने और जबरन और अवैध रूप से निर्माण करने के प्रयास है, जो विवादित क्षेत्र के साथ आगे बढ़ता और हस्तक्षेप करता है।'

कश्मीर मुद्दे से सीपीईसी को अलग करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यह चीन और पाकिस्तान द्वारा दीर्घकालिक विकास के लिए एक सहयोग ढांचा है, जिससे स्थानीय बुनियादी ढांचे, आजीविका सुधारने और स्थानीय आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है।'

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