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China तिब्बत-अरुणाचल के युवाओं को भर्ती कर रहा PLA में, भारत के खिलाफ नई साजिश

कांग्रेस के विधायक निनोंग ईरिंग ने दावा किया है कि चीन सरकार पीएलए में अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों के युवकों की भर्ती करने का प्रयास कर रही है.

Updated on: 14 Aug 2021, 06:51 AM

highlights

  • कांग्रेस के पासीघाट से विधायक निनोंग ईरिंग का बड़ा दावा
  • विशेषज्ञों को आशंका अरुणाचल हो सकता है अगला गलवान
  • अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं मानता है ड्रैगन

नई दिल्ली:

चीन (China) की चालबाजियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. पूर्वी लद्दाख (Ladakh) से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ-साथ पूर्वोत्तर में तिब्बत से लगी सीमा पर भी स्थितियां सामान्य नहीं है. अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) की 1126 किमी लंबी सीमा तिब्बत से सटी है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश को भारत के हिस्से के तौर पर कभी मान्यता नहीं दी है. ऐसे में बीते साल गलवान घाटी संघर्ष के बाद से ही चीन ने पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमा पर अपनी गतिविधियां असामान्य रूप से बढ़ा दी हैं. वह वहां बांध से लेकर हाइवे और रेलवे लाइन का निर्माण कर रहा है. इसके अलावा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के भारतीय सीमा में घुसपैठ की घटनाएं भी बढ़ी हैं. अब पता चला है कि चीन सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले भारतीय युवाओं की भर्ती पीएलए में करने का प्रयास कर रहा है. इस जानकारी के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने केंद्र से सीमावर्ती इलाकों में आधारभूत परियोजनाओं का काम तेज करने का अनुरोध किया है ताकि बेरोजगारी और कनेक्टिविटी जैसी समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सके.

कांग्रेस विधायक का सनसनीखेज दावा
जर्मनी की समाचार एजेंसी डायचे वेले के मुताबिक कांग्रेस के पूर्व सांसद और फिलहाल पासीघाट के विधायक निनोंग ईरिंग ने दावा किया है कि चीन सरकार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों के युवकों की भी भर्ती करने का प्रयास कर रही है. साथ ही राज्य से सटे तिब्बत के इलाकों से भी भर्तियां की जा रही हैं. सोशल मीडिया पर अपने एक वीडियो संदेश में कांग्रेस विधायक ने कहा है, 'अब तक मिली सूचना के मुताबिक, पीएलए तिब्बत के अलावा अरुणाचल प्रदेश के युवकों को भी भर्ती करने का प्रयास कर रही है. यह बेहद गंभीर मामला है.' ईरिंग ने केंद्रीय गृह और रक्षा मंत्रालय से इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जरूरी कदम उठाने की अपील की है. कांग्रेस नेता कहते हैं, 'तिब्बत की सीमा से सटे इलाकों में रहने वाली निशी, आदि, मिशिमी और ईदू जनजातियों और चीन की लोबा जनजाति के बीच काफी समानताएं हैं. उनकी बोली, रहन-सहन और पहनावा करीब एक जैसा है.' ईरिंग की दलील है कि चीन जिस तरह सीमा से सटे बीसा, गोहलिंग और अनिनी इलाके में मकानों और सड़कों का निर्माण कर रहा है उससे अरुणाचल के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के प्रभावित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. 

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अरुणाचल को भारत का हिस्सा नहीं मानता है चीन
गौरतलब है कि ने चीन बीते साल से ही अरुणाचल से लगे सीमावर्ती इलाके में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है. ड्रैगन ने सीमा से 20 किमी भीतर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य किया है. तिब्बत की राजधानी ल्हासा से करीब सीमा तक नई तेज गति की ट्रेन भी शुरू हो गई है. उससे पहले उसने एक हाइवे का निर्माण कार्य भी पूरा किया था. यही नहीं, बीते एक साल के दौरान चीनी सैनिकों के सीमा पार करने की कई घटनाओं की सूचना मिली है. वह इलाका इतना दुर्गम है कि हर जगह सेना की तैनाती संभव नहीं है और सूचनाएं भी देरी से राजधानी तक पहुंचती हैं. हाल में भारत ने राज्य के पूर्वी जिले अंजाव में सेना की अतिरिक्त बटालियन भेजी है. सुरक्षा विशेषज्ञों ने अंदेशा जताया है कि अरुणाचल अगला गलवान साबित हो सकता है. चीन बार-बार कहता रहा है कि वह अरुणाचल को भारत का हिस्सा नहीं मानता.