भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो के एक साथ 104 सेटेलाइट्स अंतरिक्ष में छोड़ने का कायल अब चीन भी हो गया है। कमर्शियल सेटेलाइट छोड़ने में भारत की तारिफ करते हुए चीनी मीडिया ने कहा है कि, 'भारत ने चीन की तुलना में कमर्शियल सेटेलाइट्स पहले लॉन्च कर तकनीक क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है। इससे सीख चीन भी दुनिया की सेटेलाइट मार्केट में कमर्शियल सेटेलाइट लॉन्च करने की दिशा में अपने प्रयास तेज कर सकता है।'
चीन की शंघाई इंजिनियरिंग सेंटर फॉर माइक्रोसेटेलाइट्स के नई तकनीक विभाग के डायरेक्टर झांग योंघी ने कहा है कि, 'सेटेलाइट्स लॉन्च के ज़रिए दिखा दिया कि भारत अंतरिक्ष में कम कीमत में कमर्शियल सेटेलाइट्स भेज सकता है। इससे चीन को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष बाज़ार में कमर्शियल सेटेलाइट भेजने में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना होगा।'
इसके बाद चीनी मीडिया में इस तरह की ख़बरें छपी है जिसमें कहा गया है कि अंतरिक्ष में कमर्शियल सेटेलाइट लॉन्च कर भारत की सफलता को देख चीन अपने कमर्शियल रॉकेट लॉन्च की कोशिशों में और तेज़ी ला सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबकि झांग का कहना है कि भारत ने चीन की तुलना में कहीं ज़्यादा बेहतरीन काम किया है।
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भारत की तारीफ करते हुए कहा गया है कि मंगल ग्रह पर चीन से आगे रहने के बात भारत ने मात्र एक रॉकेट के ज़रिए एक साथ 104 सेटेलाइट्स लॉन्च कर शानदार प्रदर्शन किया है।
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 'बुधवार को अंतरिक्ष दुनिया में किया गया भारत का प्रयास उनकी नवीनतम जीत है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि, '2014 में भारत ने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्षयान स्थापित कर चीन को पछाड़ दिया था और दुनिया में यह कारनामा करने वाला चौथा देश बन गया था जबकि चीन 2012 में मंगलयान मिशन में असफल रहा था।'
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रिपोर्ट में लिखा है कि, ' करीब 103 सेटेलाइट्स में से ज़्यादातर सेटेलाइट्स इज़रायल, कजाकिस्तान, स्विट्जरलैंड और अमेरिका समेत दूसरे देशों के थे।' चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन की पब्लिकेशन्स ने इसे भारत की बड़ी सफलता बताया है लेकिन साथ ही कहा है कि भारत के लिए यह गर्व की बात है लेकिन इसका असर सीमित होगा।
इसके अलावा ग्लोबल टाइम्स ने रिकॉर्ड लॉन्च को भारत की जीत बताते हुए साथ ही यह भी लिखा है कि, ' भारत के रिसर्च एंड डेवलपमेंट के पूरे सम्मान के साथ, सेना और कमर्शियल रॉकेट लॉन्चिंग सर्विस में सफलता के बावजूद भारत अभी भी चीन, अमेरिका और रुस से काफी पीछे है।' रिपोर्ट में झांग के हवाले से लिखा गया है कि, 'भारत पर्याप्त रॉकेट टाइप्स और उनके प्रक्षेपण के बावजूद चीन का मुकाबला नहीं कर सकता।'
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Source : News Nation Bureau