चीन से आक्रामक साइबर हमले संभव, भारत मुकाबले को तैयार : CDS रावत
रावत ने कहा कि चीन को पहले मूवर्स का फायदा है, क्योंकि भारत साइबर युद्ध क्षमताओं को अपनाने के लिए धीमा था, जिसके कारण अंतराल हो गया है.
highlights
- चीन साइबर हमले शुरू करने में सक्षम
- भारत काफी पीछे है इस क्षेत्र में
- फिर भी भारत मुकाबले के लिए तैयार
नई दिल्ली:
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने कहा कि चीन भारत पर साइबर हमले (Cyber War) शुरू करके सिस्टम को बाधित कर सकता है और इस तरह के किसी भी कदम का मुकाबला करने के लिए भारत (India) और इसका तंत्र तैयार है. विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में 'वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों को पूरा करने के लिए सशस्त्र बलों को आकार देने' पर अपनी बात रखते हुए जनरल रावत ने कहा, 'हम चीन (China) के साथ पूरी तरह से पकड़ में नहीं आ सकते हैं. इसलिए हम किसी तरह के संबंध विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं. पश्चिमी देशों और देखते हैं कि कम से कम शांति समय के दौरान हम उनसे कुछ समर्थन कैसे प्राप्त कर सकते हैं, जो हमें इस कमी को दूर करने में मदद करेगा.'
चीन है भारत से आगे साइबर हमलों के मामलों में
रावत ने कहा कि चीन को पहले मूवर्स का फायदा है, क्योंकि भारत साइबर युद्ध क्षमताओं को अपनाने के लिए धीमा था, जिसके कारण अंतराल हो गया है. उन्होंने कहा, 'साइबर क्षेत्र में सबसे बड़ा अंतर निहित है. हम जानते हैं कि चीन हम पर साइबर हमले शुरू करने में सक्षम है और यह बड़ी संख्या में प्रणालियों को बाधित कर सकता है.' संसद में प्रस्तुत आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में 2019 की तुलना में पिछले साल साइबर हमलों में लगभग 300 प्रतिशत स्पाइक देखा गया, जो 2019 में 3,94,499 मामलों से बढ़कर 2020 में 11,58,208 हो गया है, जो सरकार के लिए चिंताजनक है.
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साइबर एजेंसी बनेगी
रावत ने कहा, 'हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वह एक प्रणाली है जो साइबर रक्षा को सुनिश्चित करेगी. हम सशस्त्र बलों के भीतर एक साइबर एजेंसी बनाने में सक्षम हैं और प्रत्येक सेवा की अपनी साइबर एजेंसी भी है.' सीडीएस ने कहा कि इस मामले में चीन आगे है, लेकिन भारत भी अपनी तकनीकों को विकसित कर रहा है. इससे पहले अपने संबोधन में सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत के नेतृत्व ने देश की सुरक्षा और गरिमा पर ‘अकारण हमले’ के मद्देनजर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितों को बरकरार रखने में राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन किया है. उनकी इस टिप्पणी को पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा गतिरोध से जोड़कर देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश परोक्ष युद्ध से लेकर ‘हाइब्रिड’ और गैर-संपर्क पारंपरिक युद्ध तक अलग-अलग सुरक्षा खतरों और चुनौतियों का सामना कर रहा है.
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बाहरी हमलों से मुकाबले के लिए आंतरिक सुरक्षा जरूरी
जनरल रावत ने कहा कि भारत के बाहरी खतरों से प्रभावी कूटनीति और पर्याप्त रक्षा क्षमता से निपटा जा सकता है, लेकिन साथ ही उल्लेख किया कि मजबूत राजनीतिक संस्थान, आर्थिक वृद्धि, सामाजिक सौहार्द, प्रभावी कानून व्यवस्था तंत्र, त्वरित न्यायिक राहत एवं सुशासन ‘आंतरिक स्थिरता के लिए पहली आवश्यकता’ हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे नेतृत्व ने देश की सुरक्षा, मूल्यों और गरिमा पर ‘अकारण हमले’ के मद्देनजर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हितों को बरकरार रखने में राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं दृढ़ निश्चय का प्रदर्शन किया है.’
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