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फाइल फोटो
एनएजी में भारत की सदस्यता और आतंकी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी करार दिए जाने के प्रस्ताव में रोड़ा अटकाए जाने के बाद चीन ने 2017 में दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों की उम्मीद जताई है।
2016 में भारत और चीन के आपसी रिश्तों में कई द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर तनावपूर्ण स्थिति बनी।
चीन ने जहां परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) समूह में भारत के प्रवेश को लेकर आपत्ति जताई वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव पर अड़गा लगा दिया था। हालांकि अब चीन को लगता कि नए साल में दोनों देश आपसी बातचीत से सभी गतिरोध के मुद्दे को सुलझाने में सफल होंगे।
भारत चीन की तरफ से मसूद अजहर और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के बैन पर रुख साफ किए जाने का इंतजार कर रहा है। चीन के फैसले के बाद ही भारत इस मामले को लेकर अपना रुख तय करेगा।
चीन पहले कह चुका है कि आतंक से लड़ने के मामले में दोहरा रवैया नहीं अपनाया जाना चाहिए। ऐसे में अगर वह मसूद से जुड़े प्रस्ताव पर फिर से अड़ंगा लगाता है तो भारत इसका इस्तेमाल चीन के खिलाफ करेगा।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने खत्म हो रहे साल के बीजिंग के अनुभव तथा चीन-भारत के संबंधों के संदर्भ में अगले साल के दृष्टिकोण के बारे में कहा, ‘विकास के लिए दोनों देशों के अधिक निकटता वाली भागीदारी की ओर बढ़ने के लक्ष्य के साथ इस साल, चीन और भारत के संबंधों में लगातार सुधार देखने को मिला है।’
चुनिंग ने कहा, ‘करीबी पड़ोसी होने के नाते हमारे दो बड़े देशों के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है और हम कूटनीतिक माध्यमों के जरिए उनके समाधान के लिए रास्ते तलाश रहे हैं। चीन-भारत संबंधों का मुख्य आधार दोस्ती और सहयोग है।’
चीन और भारत के बीच गहरी कूटनीतिक वार्ता की मजबूती नए साल के साथ शुरू हो सकती है क्योंकि अजहर को संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति के तहत आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध कराए जाने के लिए भारत के आवेदन पर चीन द्वारा लगाए गए दूसरे ‘तकनीकी अड़ंगे’ की अवधि 31 दिसंबर को खत्म हो रही है।
अगर चीन इस मुद्दे पर भारत का सहयोग करता है तो यह उसके लिए भी सकारात्मक होगा क्योंकि इसकी वजह से हर प्रकार के आतंकवाद से लड़े जाने के चीन के संकल्प पर प्रश्नचिह्न लगता है।
जैश-ए-मोहम्मद को संयुक्त राष्ट्र ने पहले ही आतंकवादी संगठन की सूची में डाल रखा है।
चीन के दूसरे तकनीकी अड़ंगे की अवधि खत्म होने के साथ ही भारत द्वारा नया आवेदन दायर किए जाने की उम्मीद है जिसे हाल में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा पठानकोट आतंकी हमले में अजहर के खिलाफ दायर किए गए आरोपपत्र से मजबूती मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन सहित समिति के अन्य सदस्य पहले ही भारत के इस मामले का समर्थन कर चुके हैं।
HIGHLIGHTS
- चीन ने 2017 में दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों की उम्मीद जताई है
- एनएसजी में चीन ने भारत की सदस्यता में अड़गा लगा चुका है
- इसके अलावा चीन ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव पर भी रोक लगाई है
Source : News State Buraeu