logo-image

India China Border: चीन ने तिब्बत में किया बड़ा निर्माण, 1962 जैसी स्थिति से बचने के लिए चौड़ी सड़कों की जरूरत...

सड़क चौड़ीकरण करने को लेकर दायर मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चीन का भी जिक्र हुआ. दरअसल, कोर्ट को बताया कि इसकी जरूरत इसलिए है क्योंकि दूसरी तरफ चीन ने भारी निर्माण किया है और हम 1962 जैसी स्थिति फिर से पैदा होने देना नहीं चाहते.

Updated on: 11 Nov 2021, 10:19 AM

नई दिल्ली:

चीन लगातार तिब्बत से सटे इलाके में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाल में बताया कि चीन ने तिब्बत क्षेत्र में बड़ा निर्माण किया है और सेना को 1962 जैसी युद्ध स्थिति से बचने के लिए भारत-चीन सीमा तक भारी वाहनों को ले जाने के लिए चौड़ी सड़कों की जरूरत है. चार धाम सड़क चौड़ीकरण योजना को लेकर एक एनजीओ की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि ऋषिकेश से गंगोत्री, ऋषिकेश से माणा और टनकपुर से पिथौरागढ़ तक फीडर सड़कें (जो चीन से लगती उत्तरी सीमा तक जाती हैं) देहरादून और मेरठ में सेना के शिविरों को जोड़ती हैं जहां मिसाइल लांचर और भारी तोपखाना प्रतिष्ठान हैं. केंद्र सरकार ने कहा कि सेना को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है और यह 1962 जैसी स्थिति नहीं होने दे सकती. शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्र की रक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ सभी विकास टिकाऊ और संतुलित होने चाहिए तथा अदालत देश की रक्षा जरूरतों का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है.

यह भी पढ़ेंः घर पर लगे पाकिस्तानी झंडे के बाद बढ़ा तनाव, चार पर राजद्रोह का केस दर्ज

उन्होंने आठ सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन का आग्रह किया जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को चीन सीमा तक जाने वाली महत्वाकांक्षी चारधाम राजमार्ग परियोजना पर 2018 के परिपत्र में निर्धारित कैरिजवे की चौड़ाई 5.5 मीटर का पालन करने को कहा गया था. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 900 किलोमीटर की परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड में चार पवित्र शहरों - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है.

1962 जैसी स्थिति से बचने के लिए सड़कों का चौड़ीकरण जरूरी 
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि 1962 जैसी स्थिति से बचने के लिए सीमा पर सेना को सड़कों की जरूरत है. टैंक, रॉकेट लॉन्चर और तोप ले जाने वाले ट्रकों को इन सड़कों से गुजरना पड़ सकता है. इसलिए रक्षा की दृष्टि से सड़क की चौराई 10 मीटर की जानी चाहिए. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि ऋषिकेश से गंगोत्री, ऋषिकेश से माना और तनकपुर से पिथौरागढ़ जैसी सड़कें जो देहरादून और मेरठ के आर्मी कैंप को चीन की सीमा से जोड़ती है. इन कैंपों में मिसाइल लॉन्चर और हेवी आर्टिलरी मौजूद हैं. केंद्र सरकार ने कहा कि आर्मी को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है.

एनजीओ ने दायर की याचिका
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में एक एनजीओ ने चार धाम सड़क चौड़ीकरण योजना को मिली वाइल्ड लाइफ मंजूरी के खिलाफ अपील की है. याचिका में कहा गया है कि इस परियोजना से बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई होगी और पर्यावरण को भारी नुकसान होगा. एनजीओ की ओर से पेश वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा, 'सेना ने कभी नहीं कहा कि हमें चौड़ी सड़कें चाहिए. राजनीतिक सत्ता में किसी उच्च व्यक्ति ने कहा कि हम चार धाम यात्रा पर हाइवे चाहते हैं और सेना अनिच्छा से उनके साथ चली गई.