भारत को घेरने के लिए गिलगित बाल्टिस्तान में चीन ने नई सड़क बनाई

एक बार 33 मीटर चौड़ी सड़क बन जाने के बाद, चीन गिलगित बाल्टिस्तान में भारी तोपखाने को ले जाने में सक्षम होगा, जिससे लद्दाख में आगे के स्थानों (फॉरवर्ड एरिया) पर भारतीय पक्ष को खतरा पैदा हो सकता है.

एक बार 33 मीटर चौड़ी सड़क बन जाने के बाद, चीन गिलगित बाल्टिस्तान में भारी तोपखाने को ले जाने में सक्षम होगा, जिससे लद्दाख में आगे के स्थानों (फॉरवर्ड एरिया) पर भारतीय पक्ष को खतरा पैदा हो सकता है.

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Nihar Saxena
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Hina Road Gilgit Baltistan

इस सड़क से लद्दाख तक तोपखाने ले आएगा चीन भारत के खिलाफ.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

चीन (China) ने एक ऐसी सड़क बनाने का फैसला किया है, जो 800 किलोमीटर के काराकोरम राजमार्ग को पाकिस्तान (Pakistan) के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान के अस्तोर के साथ जोड़ेगी. इस कदम के साथ बीजिंग और इस्लामाबाद लद्दाख (Ladakh) पर दबाव बढ़ाने का इरादा रखे हुए हैं. एक बार 33 मीटर चौड़ी सड़क बन जाने के बाद, चीन गिलगित बाल्टिस्तान में भारी तोपखाने को ले जाने में सक्षम होगा, जिससे लद्दाख में आगे के स्थानों (फॉरवर्ड एरिया) पर भारतीय (India)  पक्ष को खतरा पैदा हो सकता है.

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अस्तोर में है पाकिस्तान का डिवीजन मुख्यालय
उच्च पदस्थ सूत्रों ने इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम को बताया कि चीन एक पूर्व बौद्ध फाउन्ट यरकंद को और फिर उइगर संस्कृति के सांस्कृतिक दिल को काराकोरम राजमार्ग के माध्यम से अस्तोर के साथ जोड़ना चाहता है. अस्तोर जिला स्कर्दू के पश्चिम में है, जो पाकिस्तान का एक डिवीजन मुख्यालय है, जहां से लद्दाख ज्यादा दूर नहीं है. लद्दाख में कई स्थानों पर चीन और भारत के बीच पिछले लंबे समय से गतिरोध बना हुआ है.

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दो मोर्चों पर भारत को खतरा बढ़ा
अस्तोर का मुख्यालय ईदगाह में है और यह गिलगित बाल्टिस्तान के 14 जिलों में से एक है. एक निम्न-गुणवत्ता वाली सड़क वर्तमान में ईदगाह को काराकोरम राजमार्ग से जोड़ती है, जो 43 किलोमीटर दूर है. विश्लेषकों का कहना है कि नई सड़क के निर्माण से चीन और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में भारत के खिलाफ दो-मोर्चे की लड़ाई शुरू करने की क्षमता बढ़ जाएगी.

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भारत ने इंडो-पैसिफिकमें कसी कमर
चीन की ओर से सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण तैनाती के साथ ही प्रारंभिक रणनीतिक लाभ का मुकाबला करते हुए इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि भारत हिमालय में ही नहीं, बल्कि इंडो-पैसिफिक के पानी में भी जवाबी प्रहार की तैयारी कर रहा है. भारत, जापान और अमेरिका के साथ साझेदारी में चीन से मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण मील के पत्थर को पार कर गया है, जहां वह अंडमान-निकोबार द्वीप समूह (एएनआई) से गुजरने वाले चीनी वाणिज्यिक जहाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण शिपिंग लेन को लेकर रणनीतिक तौर पर सुदृढ़ हो रहा है.

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