चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर अपने विदाई भाषण बोले- कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, जानें ऐसा उन्होंने क्यों कहा

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर अपने विदाई भाषण में भावुक हो गए। भावूक टीएस ठाकुर ने कहा, 'मैं एक संवैधानिक संशोधन व्यक्तिगत रूप से चाहता हूं कि न्यायाधीशों रिटायर्ड होने के बाद भी अभ्यास करने के लिए अनुमति दी जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर अपने विदाई भाषण में भावुक हो गए। भावूक टीएस ठाकुर ने कहा, 'मैं एक संवैधानिक संशोधन व्यक्तिगत रूप से चाहता हूं कि न्यायाधीशों रिटायर्ड होने के बाद भी अभ्यास करने के लिए अनुमति दी जानी चाहिए।

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sankalp thakur
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चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर अपने विदाई भाषण बोले- कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, जानें ऐसा उन्होंने क्यों कहा

ANI

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर अपने विदाई भाषण में भावुक हो गए। भावूक टीएस ठाकुर ने कहा, 'मैं एक संवैधानिक संशोधन व्यक्तिगत रूप से चाहता हूं कि न्यायाधीशों रिटायर्ड होने के बाद भी अभ्यास करने की अनुमति दी जानी चाहिए। मेरे जीवन में सबसे चुनौतीपूर्ण समय तब था जब मै एक वकील के रूप में संघर्ष कर रहा था। हर सुबह एक चुनौती होती थी। मुझे वे दिन याद आते हैं।'

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चीफ जस्टिस ने आगे कहा,'देश आर्थिक रूप में तेजी से आगे बढ़ रहा है और देश की प्रगती के लिए न्यायपालिका जरूरी है। 

न्यायमूर्ति ठाकुर ने अपने चालक,, रसोइए और सहायकों को धन्यवाद कहा। उन्होंने अपने स्पीच निदा फ़ाज़ली का शेर 'कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता'  बोलकर खत्म की।

Source : News Nation Bureau

SC TS Thakur
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