चीफ जस्टिस रंजन गोगोई बोले- कुछ लोगों और समूहों का रवैया आक्रामक है
भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi)ने रविवार को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के ऑडिटोरियम की आधारशिला रखी.
नई दिल्ली:
भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi)ने रविवार को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के ऑडिटोरियम की आधारशिला रखी. इसके बाद उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में कुछ लोगों और समूहों का आक्रामक और लापरवाही भरा बर्ताव देखने को मिल रहा है. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह के घटनाक्रम महज अपवाद हैं और देश की विधिक संस्थाओं की मजबूत परंपराओं से परास्त होंगे.
Chief Justice of India, Ranjan Gogoi in Guwahati: It is unfortunate that present times are witnessing belligerent and reckless behaviour by a few individuals & some groups. However, I am hopeful that such incidents would turn out to be exceptions. (1/2) #Assam pic.twitter.com/xC27qJam03
— ANI (@ANI) August 4, 2019
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi)ने रविवार को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के ऑडिटोरियम की आधारशिला रखने के बाद कहा कि सरकारी कार्यालयों या प्रतिष्ठानों के विपरीत, अदालतें इसलिये अद्वितीय हैं क्योंकि न्याय के पहिये को आगे बढ़ाने के लिये प्रतिदिन कई हितधारक जुटते हैं, भले ही वे एक भी आदेश से बाध्य नहीं हों.
Chief Justice of India, Ranjan Gogoi in Guwahati: After SC took upon itself to fill up 6000 vacancies of trial judges, it appears to me that about 4000 of these vacancies have been filled up. About 1500 vacancies will be filled by the end of November or end of December. #Assam pic.twitter.com/7yEWwscG07
— ANI (@ANI) August 4, 2019
उन्होंने कहा कि देश में लगभग 90 लाख सिविल केसों में से 20 लाख से अधिक समन अवस्था में लंबित हैं. 2 करोड़ 10 लाख आपराधिक मामलों में से, 1 करोड़ से अधिक मामले सम्मन चरण में लंबित हैं.
Chief Justice of India, Ranjan Gogoi in Guwahati: Out of about 90 lakh civil cases in the country, more than 20 lakh are pending at the summoning stage. Out of 2 crore 10 lakh criminal cases, over 1 crore cases are pending at summoning stage. #Assam pic.twitter.com/dGIoTQrCkH
— ANI (@ANI) August 4, 2019
गोगोई ने कहा कि आज, मैं यह कहने के लिए मजबूर हूं कि न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों को इस बात को अवश्य याद रखना चाहिये कि जनता के जिस विश्वास और भरोसे पर हमारी संस्था का अस्तित्व है, वह हमारे आदेशों और फैसलों के आधार पर बना है. सीजेआई ने यह भी कहा कि न्यायिक पदाधिकारी के रूप में चयनित होना इस प्रतिष्ठित संस्था की सेवा करने का एक अवसर है, जिसका मूल्य हमेशा कल्पना से काफी अधिक है.
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