देश के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का आज अंतिम कार्यदिवस, 17 को हो जाएंगे रिटायर
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे. आज उनका अंतिम कार्यदिवस है.
नई दिल्ली:
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे. आज उनका अंतिम कार्यदिवस है. आज कोर्ट में सीजेआई रंजन गोगोई देश के भावी सीजेआई एसए बोबड़े के साथ कोर्ट नंबर 1 में बैठे. शुक्रवार को सीजेआई ने कार्यसूची में दर्ज सभी 10 मामलों में नोटिस जारी किया. 17 नवंबर 2019 को रिटायर होने से पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद और राफेल घोटाला जैसे बड़े मामलों में फैसला दे चुके हैं. सीजेआई के नेतृत्व में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में फैसला दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला देते हुए मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में कही और जमीन देने का आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि राम मंदिर बनाने को लेकर केंद्र सरकार एक ट्रस्टी बोर्ड बनाए और तीन माह में निर्माण की रूपरेखा तय करे. CJI रंजन गोगोई के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई हो रही थी. 40 दिनों की सुनवाई के बाद संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. अयोध्या विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
अयोध्या प्रकरण के अलावा राजनीतिक रूप से सनसनीखेज राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ डाली गई पुनर्विचार याचिका की सुनवाई भी रंजन गोगोई की कोर्ट में हुई. एक दिन पहले ही यानी 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला देते हुए पुनर्विचार याचिका को खारिज कर मोदी सरकार को बड़ी राहत दी. इसके साथ ही राहुल गांधी के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर कोर्ट ने उन्हें सोच-समझकर बोलने की नसीहत दी. इसी साल 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था. पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने राफेल डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी.
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सीजेआई रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली संविधान पीठ ने एक दिन पहले ही सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई बड़ी बेंच को सौंप दिया. सर्वोच्च न्यायायल ने 6 फरवरी को 65 याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें अदालत के 28 सितंबर, 2018 के फैसले की समीक्षा करने की अनुमति देना भी शामिल था. इस फैसले में केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी गई थी. याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में यह तर्क दिया था कि सबरीमाला में भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है और वो एक ब्रह्मचारी थे इसलिए अदालत को 10-50 साल के मासिक धर्म में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
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