भीमा मांडवी से पहले भी छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा की भेंट चढ़ चुके हैं कई नेता

यह हमला नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा में हुआ जो बस्तर लोकसभा क्षेत्र में आता और यहां पर पहले चरण के चुनाव के दौरान वोटिंग होनी है

यह हमला नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा में हुआ जो बस्तर लोकसभा क्षेत्र में आता और यहां पर पहले चरण के चुनाव के दौरान वोटिंग होनी है

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Vivek Kumar
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भीमा मांडवी से पहले भी छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा की भेंट चढ़ चुके हैं कई नेता

मंगलवार को नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में भाजपा नेता भीमा मांडवी सहित 5 लोगों की हमलाकर हत्या कर दी। लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले पहले चरण की वोटिंग से पहले नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया. राज्य में यह नक्सली हमला पहले चरण की वोटिंग से ठीक 2 दिन पहले हुआ. यह हमला भाजपा की राज्य में दोबारा जनाधार पाने की कोशिशों पर पानी फेर सकता है. आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब चुनावी माहौल में नक्सलियों ने किसी जनप्रतिनिधि की हत्या की हो.

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साल 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को इस राज्य में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था. भाजपा पिछले 15 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज थी इसके बावजूद विधानसभा की 90 सीटों में से महज 15 सीटें ही हासिल कर सकी। भाजपा विधानसभा चुनाव में मिली इस करारी शिकस्त के बाद लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए प्रयास कर रही थी.

यह हमला नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा में हुआ जो कि बस्तर लोकसभा क्षेत्र में आता और यहां पर पहले चरण के चुनाव के दौरान वोटिंग होनी है. भाजपा को चुनाव से ठीक पहले इस हमले में अपना एक मजबूत नेता गंवाना नुकसानदायक हो सकता है. आपको बता दें कि हमले में मारे गए विधायक भीमा मंडावी भी दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से ही विधायक थे.

पहले भी नक्सली हमलों में मारे गए हैं नेता

यह पहला मौका नहीं है जब नक्सलियों ने इस इलाके में इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया हो. इस इलाके में नक्सली पहले भी कई जनप्रतिनिधियों को अपना शिकार बना चुके हैं. साल 2012 में भी भीमा मंडावी पर नक्सलियों ने हमला बोला था, हालांकि वह उस हमले में बच गए थे, इस हमले में उनका एक सुरक्षाकर्मी घायल हो गया था.

मई 2013 में जगदलपुर की झीरमघाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला बोला था. इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और दिग्गज नेता नंदकुमार पटेल, उनके पुत्र दिनेश पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 31 लोग मारे गए थे.

साल 2009 के आम चुनाव से दौरान राज्य के तत्कालीन मंत्री विक्रम उसेंडी की सुरक्षा में लगे पुलिस के जवानों पर भी नक्सलियों ने हमला बोला था, इस हमले में पुलिस के 2 जवान शहीद हो गए थे, जबकि मंत्री जी बाल-बाल बचे थे. आपको साल 2008 की एक ऐसी ही घटना याद दिलाना चाहेंगे जब राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा में ही चुनाव प्रचार करने गए रमेश राठौर समेत 2 बीजेपी नेताओं की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी.

Source : News Nation Bureau

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