भारत के अलग-अलग हिस्सों में रविवार को छठ का त्योहार मनाया जाएगा। शनिवार को खरना की समाप्ती के बाद रविवार को डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। 7 नवंबर यानी सोमवार को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर लोग पूजा करेंगे।
इससे पहले शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ से छठ पर्व की शुरुआत हुई। शनिवार शाम खरना मनाया गया, जिसमें खीर बनी और उसे प्रसाद के रुप में बांटा गया।
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डूबते सूर्य को अर्ध्य देने का शुभ मुहर्त रविवार शाम 5.29 तक है, जबकि सोमवार को उदयाचलगामी सूर्य को अर्ध्य सुबह 6.31 बजे तक दे सकते हैं। इसके बाद इस पर्व का समापन हो जाएगा।
क्या है इस डूबते सूर्य को अर्ध्य देने का महत्व
कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को (तीसरे दिन) छठ प्रसाद बनाया जाता हैं। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल का लडुआ, सभी के फल शामिल रहते हैं। शाम को पूरी व्यवस्था के साथ बांस की टोकरी में अर्घ का सुप सजाया जाता है और छठ व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देने के लिए घाट की ओर चल पड़ते हैं।
तीसरे दिन पूरे दिन उपवास रखकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। इस दिन रात के समय छठी माता के गीत गाने और व्रत कथा सुनने की मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव और छठी मइया भाई-बहन हैं और इस वर्त को करने से निसंतान को संतान की प्राप्ती होती है। वर्त करने वाले इस दिन खासकर अपने संतान की रक्षा के लिए मनोकामना मांगते है। इस वर्त को करने से जीवन में सुख-समृद्धि से आती है।
Source : News Nation Bureau