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अफ्रीका से भारत आ रहे चीते रास्ते में रहेंगे भूखे-प्यासे; जानिए वजह

मपी के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाइफ) जे एस चौहान ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कुल 8 चीते भारत आ रहे हैं. उनके आगमन से साल 1952 से पैदा हुआ शून्य भर जाएगा. उनकी नामीबिया से कुनो-पालपुर नेशनल पार्क तक...

मपी के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाइफ) जे एस चौहान ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कुल 8 चीते भारत आ रहे हैं. उनके आगमन से साल 1952 से पैदा हुआ शून्य भर जाएगा. उनकी नामीबिया से कुनो-पालपुर नेशनल पार्क तक...

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Shravan Shukla
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Cheetah( Photo Credit : File)

इस वीकेंड भारत में मेहमान आ रहे हैं, जो यहीं के होकर रह जाएंगे. साल 1952 के बाद पहली बार भारत देश की धरती पर 'चीता' आ रहे हैं. इन्हें नामीबिया से भारत लाया जा रहा है, वो भी स्पेशल प्लानिंग करके. लंबी प्रक्रिया के बाद इस वीकेंड जब वो आएंगे, तो लंबी यात्रा तय करके भारत पहुंचेंगे और फिर एमपी के कुनो-पालपुर नेशनल पार्क में ठिकाना बनाएंगे. ये चीते पहले तो नामीबिया से जयपुर पहुंचेंगे. और फिर वहां से श्योपुर लाए जाएंगे. पहले कार्गो विमान और फिर हेलीकॉप्टर से ये यात्रा पूरी की जाएगी. लेकिन इन यात्रा के दौरान हमारे मेहमान पूरी तरह से भूखे रहेंगे.

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जी हां, वन विभाग के अधिकारियों ने ये बात बताते हुए कहा है कि हमारे मेहमानों को रास्ते में भूखा रखा जाएगा. वो कुछ घंटे भूखे तो रहेंगे, लेकिन ये उनकी सेहत को देखते हुए किया जा रहा है. ताकि यात्रा के दौरान उन्हें कोई परेशानी न हो. एमपी के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाइफ) जे एस चौहान ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कुल 8 चीते भारत आ रहे हैं. उनके आगमन से साल 1952 से पैदा हुआ शून्य भर जाएगा. उनकी नामीबिया से कुनो-पालपुर नेशनल पार्क तक की यात्रा में कोई परेशानी न आए, इसके लिए उन्हें खाली पेट रखा जाएगा. 

खाली पेट ही क्यों?

ऐसा चीतों के स्वास्थ्य को देखते हुए किया जा रहा है. दरअसल, लंबी यात्रा में जानवरों के साथ समस्या हो सकती है. ऐसे में उन्हें खाली पेट रखा जाएगा. फिर यहां आने के बाद नियम के तहत धीरे-धीरे उन्हें भोजन दिया जाएगा. ये भोजन खास तरह से होगा, ताकि वो उसे आराम से हजम कर सकें. बता दें कि पीएम मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर तीन चीतों को पहली बार स्पेशल बाड़े में छोड़ेंगे. 

ये भी पढ़ें: पंजाब में अग्निवीर की भर्ती के लिए रैली कैंसिल नहीं होगी, CM ने दिए ये आदेश

चीतों और तेंदुओं में अंतर जानते हैं आप?

भारत में चीते आ रहे हैं. कभी ये राजाश्रय प्राप्त खास जानवर होते थे, लेकिन धीरे धीरे साल 1952 तक पूरी तरह से विलुप्त हो गए. कई बार लोग चीतों-तेंदुओं में अंतर नहीं कर पाते. ऐसे में हम बता रहे हैं कुछ खास अंतर, जो चीतों-तेंदुओं को अलग करता है....

  1. शरीर में अंतर: चीते छोटे होते हैं और चेदुए बड़े होते हैं. चीते पलते होते हैं, उनके पिछले पैर बहुत मजबूत होते हैं. ये उन्हें रफ्तार देते हैं.
  2. चेहरे की बनावट: चीतों का मुंह छोटा होता है. उनके आंखों के नीचे काली लंबी धारी होती है. वहीं तेंदुओं के चेहरे उनके बाकी शरीर जैसे होते हैं.
  3. आंखों में अंतर: चीतों के आंखे हल्की होती हैं, थोड़ी पीली होती हैं, जबकि तेंदुओं की आंखें थोड़ी हरी होती हैं.
  4. धब्बों में अंतर: तेंदुओं के शरीर पर छोटे-छोटे धब्बे होते हैं, जो चीतों के शरीर पर भी होते हैं. लेकिन चीतों के शरीर के धब्बे अलग-अलग होते हैं, तेंदुओं के धब्बे समूह में होते हैं.
  5. फर के रंग: चीतों के सुनहरे होते हैं, हल्के पीले होते हैं, जबकि तेंदुओं के फर पीले होते हैं. चीतों के धब्बे हल्के रंग में होते हैं, जबकि तेंदुओं के फर गहरे काले रंग के होते हैं.

HIGHLIGHTS

  • नामीबिया से भारत आ रहे हैं 8 चीते
  • रास्ते में खाली पेट रहेंगे भारत आ रहे मेहमान
  • स्वास्थ्य कारणों से लिया गया है फैसला
चीता cheetah Namibia without food
      
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