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5th maneuver of chandrayaan-3( Photo Credit : social media )
भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपने अंतिम आर्बिट पर पहुंच गया है. यह आज आखिरी कक्षा-उत्थान प्रक्रिया को अंजाम देने वाला है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने ऐलान किया है कि जब यह खत्म हो जाएगा तो अंतरिक्ष यान चंद्रमा की ओर जाने को लेकर खुद को संरेखित कर लेगा. गौरतलब है कि 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया था. वह धरती के चारो ओर अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हुए लगातार ऊपर उठा रहा है और अपनी अंतिम यात्रा के लिए तैयारी कर रहा है. चंद्रयान पेलोड 3,900 किलोग्राम वजनी है. इसमें एक लैंडर, रोवर के साथ एक प्रोपल्शन मॉड्यूल भी मौजूद है. यह चंद्रमा के चारों ओर सौ किमी ध्रुवीय कक्षा तक पहुंचने के लिए एकीकृत रहने वाला है.. मिशन के वक्त रोवर पूरी तरह से लैंडर के संपर्क में रहने वाला है.
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आपको बता दें कि चंद्रयान-3 की साफ्ट लैंडिंग चांद के दक्षिण ध्रुव पर होनी है. यह वह जगह है जहां पर आज तक कोई नहीं पहुंच सका. अमेरिका, चीन और रूस भी यहां तक पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं. अगर ये मिशन सफल होता तो ऐसा करने वाला भारत एकमात्र राष्ट्र होगा. चंद्रयान-3 का उद्देश्य चांद की सतह का निरीक्षण करना है. यह चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र के नजदीक थर्मल गुणों को जांचेगा. इसके साथ भूकंपीय गतिविधि को मापने का काम करेगा. इसके साथ चंद्रमा की गतिशीलता को समझने का प्रयास होगा.
चंद्रयान-3 की दिशा को पलटने का काम किया जाएगा. इसके लिए गति को कम कर प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे छोटे इंजनों की सहायता से चंद्रयान-3 के इंटीग्रेटेड मॉड्यूल को पूरी तरह से अगल दिशा में घुमाने का प्रयास होगा. इसे 180 डिग्री का घुमाव दिया जाएगा. इस तरह से वह चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ सकेगा. यह काम चंद्रमा की सतह के नजदीक 84 हजार किलोमीटर ऊपर होगा. यहां से चंद्रयान की गति को धीमा किया जाएगा. इसके बाद चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल को 100x100 किलोमीटर के गोलाकार कक्षा में रखने का प्रयास होगा.
HIGHLIGHTS
- मिशन के वक्त रोवर पूरी तरह से लैंडर के संपर्क में रहने वाला है
- मिशन सफल होता तो ऐसा करने वाला भारत एकमात्र राष्ट्र होगा
- चंद्रयान-3 की दिशा को पलटने का काम किया जाएगा.