Chandrayaan-3 मिशन पूरी तरह से रहा सफल, लैंडर की इस खूबी का ISRO करेगा अध्ययन
Chandrayaan-3 के प्रोजेक्ट निदेशक पी वीरामुथुवेल ने बताया कि विक्रम लैंडर का चंद्रमा पर कूदने का यह प्रयोग पहले से तय नहीं था.
नई दिल्ली:
भारत का चंद्रयान-3 अभियान बेहद सफल रहा है. कई लोगों को यह उम्मीद जगी थी कि यह अभियान 15 दिन की छोटी सी अवधि में आगे भी काम करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. अब इसरो ने इस अभियान को पूरी तरह से सफल बताया है. इसरो का कहना है कि 15 दिनों में इस अभियान के जरिए कई आंकड़े हासिल किए गए हैं. इस अभियान के दौरान विक्रम लैंडर के उछलने का अप्रत्याशित प्रयोग भी हुआ. इसे हॉप प्रयोग भी कहा जाता है. बताया जा रहा है कि इस प्रयोग से भविष्य में चंद्रमा के लिए इसरो के अभियानों को अधिक उपयोगी बनाया जा सकेगा.
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प्रयोग पहले से तय नहीं था
चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग होकर काम करने में लगा था. तब अचानक विक्रम लैंडर अपने स्थान पर कूद पड़ा था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट निदेशक पी वीरामुथुवेल ने बताया कि विक्रम लैंडर का चंद्रमा पर कूदने का यह प्रयोग पहले से तय नहीं था.
चंद्रमा पर बहुत सी जानकारी जुटाने का काम किया
वीरामुथुवेल के अनुसार, विक्रम का उछलना अभियान के निर्धारित उद्देश्यों के पूरी तरह से बाहर की घटना थी. कूदने का यह प्रयोग पहले से तय नहीं था. विक्रम लैंडर ने बीते 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की थी. इसके बाद से प्रज्ञान रोवर ने बाहर निकलकर चंद्रमा पर बहुत सी जानकारी जुटाने का काम किया और इसके लिए अहम प्रयोग किए.
जमा देने वाली रात में स्लीप मोड में गुजारनी थी
इसरो की योजना थी कि लैंडर और रोवर के चंद्रमा पर एक ही दिन (रात को छोड़कर) के वक्त यानि पृथ्वी के 14 दिन के बराबर की समय सीमा तक ही काम करने की थी. इसके बाद दोनों को चंद्रमा पर जमा देने वाली रात स्लीप मोड में गुजारनी थी. योजना में यह तय नहीं था कि वे फिर से जाग कर काम करने वाले हैं.
शिवशक्ति प्वाइंट से दूर सेफ लैंडिंग की
वीरामुथुवेल के अनुसार, विक्रमलैंडर और प्रज्ञान रोवर ने 14 दिनों में किए अपने शोध में कई आंकड़े हासिल किए हैं. कूदने के प्रयोग में लैंडर ने फायर कमांड दिया. तय क्षमता के अनुसार, रोवर 40 सेमीमीटर तक उछला और वापस अपने पूर्व स्थान शिवशक्ति प्वाइंट से 30 से 40 सेंटीमीटर दूर सेफ लैंडिंग की.
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