तेदेपा अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को लोगों से वाईएसआरसीपी के अत्याचार और विनाशकारी शासन से राज्य को बचाने की लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया।
राज्य के लोगों के नाम एक खुले पत्र में उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) का अत्याचार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है और मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी का तानाशाही रवैया लोकतंत्र को बड़ा झटका दे रहा है।
उन्होंने कहा, राज्य सरकार सत्तारूढ़ व्यवस्था की लोकतंत्र विरोधी प्रवृत्ति पर सवाल उठाने के लिए हिंसक गतिविधियों का सहारा ले रही है, झूठे मामले दर्ज कर रही है और विपक्ष के नेताओं पर अशोभनीय हमले कर रही है।
तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख ने कहा कि गन्नवरम में तबाही इसका ताजा उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि तेदेपा (टीडीपी) नेताओं को गन्नवरम में गंभीर यातनाएं दी गईं और उनकी संपत्तियों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। प्रभावित टीडीपी नेताओं को मुख्य आरोपी के रूप में पेश किया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। उन्होंने कहा वह यह खुला पत्र केवल तथ्यों को जनता के ध्यान में लाने के लिए लिख रहे हैं।
चंद्रबाबू नायडू ने इस तानाशाही शासन में आम आदमी की संपत्ति की सुरक्षा न होने पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि गरीबों की जो संपत्ति उन्होंने जीवन भर संघर्ष कर हासिल की है, उस पर सत्ताधारी दल के नेताओं का अवैध कब्जा हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ रहे हैं और राज्य अब दलित और पिछड़े वर्गों के उत्पीड़न का एक मंच बन गया है। आगे कहा कि कोरोना काल में मास्क मांगने वाले डॉक्टर को मौत के घाट उतार दिया गया, जबकि राज्य की शराब नीति पर कुछ सवाल उठाने वाले दलित युवक को बेरहमी से मार दिया गया।
उन्होंने महसूस किया कि गन्नवरम हिंसा का उद्देश्य केवल दलित वर्गों की आवाज को दबाना है जो राज्य सरकार की विफलताओं पर सवाल उठा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि कुछ पुलिस अधिकारियों के सहयोग से स्थानीय वाईएसआरसीपी नेताओं ने 20 फरवरी को विनाश किया और टीडीपी कार्यालय पर हमला किया।
उन्होंने कहा कि यह एक सुनियोजित और पूरी तरह से पूर्व-डिजाइन की गई योजना है क्योंकि वाईएसआरसीपी कार्यकर्ताओं ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में तेदेपा नेताओं पर हमला किया।
उन्होंने खुले पत्र में कहा कि कम से कम 40 तेदेपा नेताओं के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए और उनमें से कुछ को पुलिस थाने में प्रताड़ित किया गया। यहां तक कि कुछ महिला कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में कई तरह की यातनाएं दी गईं। उन्होंने कहा कि तेदेपा नेताओं को हत्या के प्रयास और अत्याचार अधिनियम सहित विभिन्न अधिनियमों के तहत मामला दर्ज करके जेल भेज दिया गया था।
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Source : IANS