तीन तलाक बिलः राज्यसभा में मोदी सरकार के सामने ये है चुनौती और बहुमत का गणित
से लोकसभा में 3 तलाक (Triple Talaq) बिल पास हो चुका है. जाहिर अब इस बिल को राज्यसभा (triple talaq bill in rajya sabha) में भी पास कराना होगा.
नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में तीन तलाक बिल (triple talaq bill in rajya sabha) पास कराना काफी चुनौती भरा साबित होगा. राज्यसभा में संख्याबल को देखते हुए विपक्ष का पलड़ा भारी है. हालांकि जिस तरह से समीकरण बन रहे हैं उसके हिसाब से अब बीजेपी के उच्च सदन में बहुमत के लिए सिर्फ 6 सांसद ही कम रहेंगे और इस लिहाज से समर्थन जुटाना मोदी सरकार के लिए आसान भी है और मुश्किल भी.
वैसे लोकसभा में 3 तलाक (Triple Talaq) बिल पास हो चुका है. जाहिर अब इस बिल को राज्यसभा (triple talaq bill in rajya sabha) में भी पास कराना होगा. लेकिन तीन तलाक जैसों मुद्दों पर बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी क्योंकि उसकी सहयोगी जेडीयू समर्थन नहीं कर ही है और बीजेडी भी तैयार नहीं है. ऐसे में विपक्ष के बजाय इस बिल के पास होने में NDA के अपने ही रोड़ा अटका रहे हैं. अगर किसी तरह दोनों दल मान जाएं तो मोदी सरकार के लिए बेहतर होगा.
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राज्य सभा में कुल 241 सांसद हैं और किसी भी बिल को पास करवाने के लिए 121 वोट चाहिए. बीजेपी के 78 सांसद राज्यसभा में हैं तो वहीं अन्य NDA दलों की बात करें तो AIDMK 11, जेडीयू 6, शिवसेना 3, शिरोमणी अकाली दल 3 और निर्दलीय और नामांकित 12 सासंद हैं. इस तरह NDA के पक्ष में कुल 113 सांसदों का वोट तय माना जा रहा है लेकिन यह संख्या मेजोरिटी के 121 के मार्क से 8 कम है. ऐसे में अगर उसे बीजेडी के सात सांसद, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 6, वाईएसआर कांग्रेस के दो सांसदों का साथ मिलता है तो बिल के समर्थन में 128 वोट पड़ेंगे और बिल आसानी से पास हो जाएगा.
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18 जुलाई को तमिलनाडु की 6 सीटों पर चुनाव होना है. यहां बीजेपी के पास कोई सीट जाते नहीं दिख रही है. इसमें अभी 4 पर एआईएडीएमके का कब्जा है. डीएमके और सीपीआई के पास एक-एक सीट है. भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन में 78 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस 48 सदस्यों वाली सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और समाजवादी पार्टी के 12 और तृणमूल कांग्रेस 13 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी गैर-कांग्रेस-गैर भाजपा पार्टी हैं.
तीन तलाक बिल (triple talaq bill)में ये हैं प्रावधान
- तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना
- तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान है यानी पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ़्तार कर सकता है.
- तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.
- पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है. इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा.
- पीड़ित महिल नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है. इसके बारे में मजिस्ट्रेट तय करेगा.
- यह संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी.
- मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुन लिया जाए और मजिस्ट्रेट को लगे कि जमानत का आधार है.
- पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है.
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