शारदीय नवरात्र आज से पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाएगी। पहले दिन मां के रूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है।कहा जाता है कि पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका मां का नाम शैलपुत्री पड़ा। शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है।
ऐसी है मान्यता
1-ऐसा माना जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से अच्छी सेहत मिलती है।
2-शैलपुत्री का पूजन करने से ‘मूलाधार चक्र’ जागृत होता है और यहीं से योग साधना आरंभ होती है, जिससे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं। इसलिए नवरात्र के प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं।
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पूजा की विधि
1- कलश स्थापना से इनकी पूजा शुरू की जाती है। इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और कलश में उन्हें विराजने के लिए प्रार्थना सहित उनका आहवान किया जाता है।
2-मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से मां प्रसन्न होती है।
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Source : News Nation Bureau