अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, अगर सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक़ खत्म कर देता है, तो सरकार लाएगी नया कानून
अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रिपल तलाक़ को अवैध घोषित करता है तो केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय में तलाक़ को रेगुलेट करने लिए क़ानून लाएगी।
नई दिल्ली:
अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रिपल तलाक़ को अवैध घोषित करता है तो केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय में तलाक़ को रेगुलेट करने लिए क़ानून लाएगी। केंद्र सरकार की ओर से दलील देते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में ये बात कही है।
अटॉर्नी जनरल ने दलील दी कि मुस्लिम समुदाय के अंदर तलाक़ की तीनों व्यवस्था निकाह हलाला, निकाह-ऐहसन और निकाह-हसना एकतरफा और असंवैधानिक हैं। इस पर जस्टिस यू ललित ने पूछा कि अगर तलाक़ को ख़त्म किया जाता है, तो मुस्लिम पुरुषों के पास तलाक़ के लिए क्या विकल्प होंगे। अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि अगर ट्रिपल तलाक़ की सभी व्यवस्था को कोर्ट खत्म करता हैं तो सरकार नया कानून लेकर आएगी।
अटॉर्नी जनरल ने अलग-अलग देशों में वैवाहिक कानूनों से जुड़ी लिस्ट भी कोर्ट को दी। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इंडोनेशिया, श्रीलंका, ईरान , इराक , टर्की , जैसे देशों के अपने वैवाहिक कानून हैं। पाकिस्तान, बाग्लादेश जैसे कट्टरपंथी देश भी अब सुधार की ओर बढ़ रहे हैं, पर हम धर्मनिरपेक्ष देश होने के बावजूद इन मसलों पर आज तक बहस ही कर रहे हैं।
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सरकार के पुराने पक्ष को दोहराते हुए अटॉर्नी ने ये भी कहा कि ट्रिपल तलाक़ जैसी परम्परा, सविधान में दिये गए समता के मूल अधिकार का उल्लंघन करती हैं। इसके चलते मुस्लिम महिलाओ को दूसरे धर्म की महिलाओं के जैसा स्टेटस नहीं हासिल हो पाया है। शादी और तलाक कानून का हिस्सा हैं, इसका धर्म से कोई वास्ता नहीं। हम कैसे जिएं, इस पर नियम बनाए जा सकते है और कुरान की व्याख्या करना कोर्ट का काम नहीं,अदालत को तय करना है कि पर्सनल लॉ संविधान की ओर से दिए गए लैंगिक समानता और समता के अधिकार की कसौटी पर खरे उतरे। इस पर चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि हम संविधान के संरक्षक होने के साथ अल्पसख्यको के अधिकारों के भी संरक्षक हैं, आप जो कह रहे हैं, वो अल्पसख्यको के अधिकार को पूरी तरह ख़त्म कर देगा।
हलाला और बहुविवाह का मसला अभी बंद नहीं
आज सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि निकाह हलाला और बहुविवाह का मसला अभी बंद नहीं किया गया हैं.. इन पर भी आगे विचार होगा. इस वक़्त समय की कमी से कोर्ट सिर्फ तीन तलाक पर विचार कर रहा है।..कोर्ट ने ऐसा तब कहा जब एटॉर्नी जनरल ने ये याद दिलाया कि 2 जजों की बेंच ने 3 तलाक, हलाला और बहुविवाह पर संज्ञान लिया था.
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कपिल सिब्बल की दलील
इसी बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लिए पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल की दलील दी कि तलाक़ कोई मसला ही नहीं है , असल मसला पितृसत्तात्मक कानून हैं, सिर्फ इस्लाम ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों से जुड़े पर्सनल लॉ पितृसत्तात्मक हैं .क्या सबको रद्द किया जायेगा..कपिल सिब्बल के मुताबिक हिन्दू पर्सनल लॉ में एक पिता अपने वसीयत में लिख सकता है कि उसकी संपत्ति बेटी को नहीं मिलेगी लेकिन इस्लाम में ऐसा नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल भी ज़ारी रहेगी।
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