चुनाव आयोग चाहे तो केंद्र लोकसभा के साथ जम्मू-कश्मीर चुनाव के लिए तैयार: राजनाथ सिंह

गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए सुरक्षा बल सहित अन्य जरूरी इंतजाम के लिए तैयार है.

गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए सुरक्षा बल सहित अन्य जरूरी इंतजाम के लिए तैयार है.

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Deepak Kumar
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चुनाव आयोग चाहे तो केंद्र लोकसभा के साथ जम्मू-कश्मीर चुनाव के लिए तैयार: राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह, गृह मंत्री (पीटीआई)

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के बारे में केंद्र सरकार की स्थिति साफ कर दी है. गुरुवार को उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य में चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है. आयोग चाहे तो लोकसभा चुनाव के साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का फैसला कर सकता है. केंद्र सरकार को इसमें कोई दिक्कत नहीं है. जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन पर राज्यसभा में हुई चर्चा के जवाब में सिंह ने यह बात कही. गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए सुरक्षा बल सहित अन्य जरूरी इंतजाम के लिए तैयार है.

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इससे पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने गृह मंत्री से लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य में चुनाव कराने के बारे में केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट करने को कहा था. इससे पहले चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार पर कश्मीर समस्या के समाधान के लिए सार्थक प्रयास नहीं करने का आरोप लगाया.

आखिर में राज्यसभा से जम्मू एवं कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा को मंजूरी मिलने के बाद संसद से गुरुवार को इस पर मुहर लग गई. इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच जोरदार बहस हुई. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से इस मुद्दे पर जवाब देने के बाद संसद के ऊपरी सदन ने इस घोषणा को मंजूरी दे दी.

बहस के दौरान विपक्षी नेताओं ने कहा कि वहां के लोगों में खुद को अलग-थलग महसूस करने की भावना पनप रही है और बल प्रयोग में इजाफे के कारण युवाओं का रुख आतंकवाद की ओर बढ़ रहा है. इसके जवाब में राजनाथ सिंह ने कहा, ‘यह सच है कि अलगाव का भाव ही आजादी के समय देश के विभाजन की वजह बना. विभाजन के बाद भी इस भाव को कम करने के लिए तत्कालीन सरकारों ने सकारात्मक पहल करने के बजाय तुष्टिकरण की राजनीति कर इस संकट को और अधिक गहरा दिया. इसके लिए बीजेपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.'

सिंह ने कहा कि खुद को अलग-थलग महसूस करने के भाव कम करने के लिए ही जम्मू-कश्मीर में विकास परियोजनाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी तौर पर रुचि दिखाते हुए राज्य को अब तक का सर्वाधित कोष आवंटित किया. इसकी मदद से राज्य में बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए पहली बार पांच रिजर्व बटैलियन गठित कर इनमें 50 हजार लोगों की भर्ती की गई.

बॉर्डर बटैलियन में 25 हजार लोगों की भर्ती हुई और दो महिला बटैलियन गठित की गई. इसी तरह कश्मीर पुलिस में सात हजार एसपीओ (विशेष सुरक्षा अधिकारी) की भर्ती की गई है. गृह मंत्री ने कश्मीर में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने के लिए पंचायत चुनाव कराने का जोखिम लिया गया. इसमें उम्मीद से ज्यादा सफलता मिलने का दावा करते हुए सिंह ने कहा, 'हमने बेधड़क आगे बढ़कर यह काम किया है. जितनी उम्मीद हमें नहीं थी उतनी कामयाबी हमें पंचायत और नगर निकाय के चुनाव में मिली है.'

आतंकी घटनाओं के बारे में उन्होंने कहा, '1995 में जम्मू-कश्मीर में 5938 आतंकवादी घटनाएं हुई थीं. लेकिन 2018 में यह संख्या घटकर 342 ही रही. हमारी कोशिश है कि कश्मीर को जिसे हिंदुस्तान का जन्नत माना जाता है, उसमें आतंकवाद की एक भी घटना न हो.'

समस्या के समाधान के लिए अलगाववादी गुटों से बातचीत नहीं करने के विपक्ष के आरोप को नकारते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हाल में वह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ कश्मीर गए थे. सभी नेताओं ने हुर्रियत के नेताओं से मिलने की इच्छा जताई लेकिन जब प्रतिनिधिमंडल के नेता हुर्रियत नेताओं से मिलने गये तो उन्होंने अपने दरवाजे बंद कर लिए. उन्होंने कहा कि अगर उन लोगों ने इनसे बात कर ली होती तो शायद कोई रास्ता खुल गया होता.

उन्होंने कहा, ‘इसके बाद भी हमने बातचीत के दरवाजे बंद नहीं किए थे. हमारे दरवाजे हमेशा बिना शर्त बातचीत के लिए खुले हैं. इसके बाद भी दूसरी तरफ से जो पहल की जानी चाहिए थी वह नहीं हुई.’ पिछले साढ़े चार साल में स्थिति बहुत बिगड़ जाने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने को लेकर प्रतिबद्ध है तथा उसे राज्य में आम चुनावों के साथ चुनाव करवाने में कोई आपत्ति नहीं है.

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सिंह ने राज्यपाल शासन के दौरान जम्मू-कश्मीर के संविधान में संशोधन करने के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि इस दौरान स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने के लिए ही सरकार ने पंचायती राज कानून में जरूरी संशोधन कर ग्राम पंचायतों के वित्तीय अधिकार दस गुना बढ़ा दिए हैं. इसे बेमिसाल कदम बताते हुए सिंह ने कहा कि कानून में संशोधन कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी और प्राथमिक स्कूल भी पंचायतों के क्षेत्राधिकार में किए गए.

Source : PTI

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