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सशस्त्र बलों के लिए सॉफ्टवेयर से चलने वाले रेडियो का स्वदेशीकरण रक्षा मंत्रालय की उच्च प्राथमिकता

सशस्त्र बलों के लिए सॉफ्टवेयर से चलने वाले रेडियो का स्वदेशीकरण रक्षा मंत्रालय की उच्च प्राथमिकता

Updated on: 26 Jul 2022, 10:30 PM

नई दिल्ली:

रक्षा मंत्रालय ने ऑपरेशन के व्यापक दायरे में सशस्त्र बलों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) के स्वदेशीकरण की प्रक्रिया तेज कर दी है।

सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील एसडीआर तकनीक और उत्पादों के लिए समग्र उत्पाद जीवनचक्र प्रबंधन फ्रेमवर्क की जरूरत है। इसके लिए स्वदेशी डिजाइन, विकास, निर्माण, टेस्टिंग, प्रमाणन और प्रबंधन के परितंत्र की जरूरत होती है।

एसडीआर तकनीकी के स्वदेशीकरण को उच्च प्राथमिकता देते हुए रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार ने कहा कि सुरक्षित रेडियो संचार की दिशा में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए यह कोशिश महत्वपूर्ण साबित होगी।

स्वदेशी एसडीआर तकनीकी के दो अहम तत्व- मानकीकृत ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर एनवॉयरनमेंट (ओई) और एप्लीकेशन (जिन्हें वेवफॉर्म्स के नाम से भी जाना जाता है) हैं। इन एप्लीकेशन का वेवफॉर्म कोष और परीक्षण सुविधा केंद्रों से जुड़ा होना जरूरी है। मानकीकृत ओई होने से अलग-अलग विक्रेताओं के एसडीआर रेडियो में आपसी संचालन और वेवफॉर्म पोर्टबिलिटी सुनिश्चित हो पाती है। इस दिशा में रक्षा मंत्रालय ने भारत आधारित ऑपरेटिंग इकोसिस्टम से संबंधित चीजों की व्याख्या करने वाले इंडिया सॉफ्टवेयर कम्यूनिकेशन आ*++++++++++++++++++++++++++++र्*टेक्च र (एससीए) प्रोफाइल या इंडियन रेडियो सॉफ्टवेयर आ*++++++++++++++++++++++++++++र्*टेक्च र को लाने का फैसला किया है।

रक्षा मंत्रालय द्वारा बनाई गई एससीए समिति के अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के निदेशक डॉ. अभय करनाडिकर ने भारत एससीए प्रोफाइल का विचार सामने रखा था। डीईएएल/डीआरडीओ ने एसडीआर के स्वदेशी विकास के लिए रोडमैप और समय-सीमा दशार्ने वाली ड्रॉफ्ट प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई थी।

रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहा कि यह महत्वपूर्ण उपकरणों के स्वदेशीकरण की दिशा में एक नया बेंचमार्क तैयार करेगा, जो अब तक आयात किया गया है और आयात बजट को कम करेगा और सशस्त्र बलों के लिए एक सुरक्षित रेडियो नेटवर्क तैयार करेगा।

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