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SC में केंद्र का हलफनामा, नहीं होगी जातिगत Census... OBC जनगणना मुश्किल

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई जातिगत जनगणना (Census) नहीं होगी.

Updated on: 24 Sep 2021, 09:34 AM

highlights

  • महाराष्ट्र के अधिकारिता मंत्रालय ने दायर की याचिका
  • केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर दिया सीधा जवाब
  • सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख 26 अक्टूबर 

नई दिल्ली:

वोट बैंक के मद्देनजर तमाम क्षेत्रीय दल ओबीसी (OBC) जनगणना की केंद्र सरकार से लगातार मांग कर रहे हैं. यह अलग बात है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई जातिगत जनगणना (Census) नहीं होगी. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से मुश्किल और असाध्य काम है. साथ ही जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना 'सतर्क नीति निर्णय' है. ओबीसी जनगणना को लेकर केंद्र का रूख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल में बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की थी.

महाराष्ट्र ने दायर की थी याचिका
केंद्र के हलफनामे के मुताबिक सरकार ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना (एसईसीसी) 2011 में काफी गलतियां एवं अशुद्धियां हैं. बताते हैं कि महाराष्ट्र की एक याचिका के जवाब में उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर किया है. महाराष्ट्र सरकार ने याचिका दायर कर केंद्र एवं अन्य संबंधित प्राधिकरणों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित एसईसीसी 2011 के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए कहा गया था कि तमाम आग्रह के बावजूद यह आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव की तरफ से दायर हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र ने पिछले वर्ष जनवरी में एक अधिसूचना जारी कर जनगणना 2021 के लिए जुटाई जाने वाली सूचनाओं का ब्यौरा तय किया था और इसमें अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति से जुड़े सूचनाओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया, लेकिन इसमें जाति के किसी अन्य श्रेणी का जिक्र नहीं किया गया है.

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26 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
इस पर केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि एसईसीसी 2011 सर्वेक्षण 'ओबीसी सर्वेक्षण' नहीं है जैसा कि आरोप लगाया जाता है, बल्कि यह देश में सभी घरों में जातीय स्थिति का पता लगाने की व्यापक प्रक्रिया थी. यह मामला गुरुवार को न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था, जिसने इस पर सुनवाई की अगली तारीख 26 अक्टूबर तय की है.