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महापंचायत पर बोले संजीव बालियान, कहीं मोदी विरोध..देश विरोध ना बन जाए

 बालियान ने आगे कहा कि दरअसल यह पूरा आंदोलन अब किसानों का नहीं रहा ,बल्कि राजनीतिक दल यूपी चुनाव से पहले किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाना चाहते हैं. लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि किसान बीजेपी के साथ है और 2022 में योगी सरकार दोबारा बनेगी.

Updated on: 06 Sep 2021, 11:09 AM

highlights

  • संजीव बालियान ने कहा महापंचायत में किसान नहीं पहुंच रहे थे
  • किसान के नाम पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं को लाया जा रहा था
  • बीजेपी 2022 में चुनाव जीतेगी, योगी सरकार फिर से बनेगी 

नई दिल्ली :

मुजफ्फरनगर में रविवार को किसानों का महापंचायत (mahapanchayat)  हुआ. महापंचायत के बहाने राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं को बुलाया जा रहा था. बसों में किसानों के नाम पर कार्यकर्ता भरकर लाए जा रहे थे. ये कहना है केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान का. न्यूज नेशन पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान (Sanjeev Balyan) ने बातचीत में कहा कि मैं कल मुजफ्फरनगर में मौजूद था. मैंने देखा है कि समाजवादी पार्टी के लोग लंगर चला रहे थे. कांग्रेस-बसपा झंडे लगी ,बसों में किसानों के नाम पर राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं को बुलाया जा रहा था.

बालियान ने आगे कहा कि दरअसल यह पूरा आंदोलन अब किसानों का नहीं रहा ,बल्कि राजनीतिक दल यूपी चुनाव से पहले किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाना चाहते हैं. लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि किसान बीजेपी के साथ है और 2022 में योगी सरकार दोबारा बनेगी.

'मोदी विरोध भारत विरोध ना बन जाए'
उन्होंने आगे कहा कि किसान आंदोलन के नाम पर ऐसे नारे लगाए जाते हैं, जिसका फायदा पाकिस्तान उठाता है. पाकिस्तान रेडियो पर किसानों के आंदोलन से जुड़ी हुई खबरें दिखाई जाती है. इससे आम किसान भी आहत होंगें. किसान देशभक्त हैं, सरकार का विरोध करना उनका लोकतांत्रिक हक है. लेकिन मोदी विरोध भारत विरोध में ना तब्दील हो जाए, इस बात का भी ख्याल रखना होगा.

'कृषि कानून नहीं बल्कि बिजली और गन्ना किसानों का मुद्दा '

ऐसा नहीं है कि किसानों की समस्याएं नहीं है, किसानों के मुद्दे नहीं है, लेकिन वह मुद्दा तीन कृषि कानून नहीं है. बल्कि बिजली और गन्ने के समर्थन मूल्य की समस्या है. मैं खुद इन मुद्दों में किसानों का समर्थन करता हूं ,लेकिन जिन मुद्दों पर आंदोलन किया जा रहा है ,वह पूरी तरीके से राजनीतिक है और आम किसानों को इस से कोई मतलब नहीं.

'प्रबुद्ध वर्ग जाति नहीं प्रोफेशन'

पार्टी की तरफ से प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन किया जा रहा है ,लेकिन इसका अर्थ है वह प्रबुद्ध बुद्धिजीवी वर्ग जो समाज की विचारधारा को प्रभावित करते हैं. उसमें डॉक्टर इंजीनियर शिक्षक कोई भी हो सकता है. उसे जाति के चश्मे से देखने की जरूरत नहीं. जहां तक ब्राह्मण और जाटों का सवाल है, अगड़े-पिछड़े दोनों बीजेपी के साथ है. 2014 ,17 और 19 में जाटों को लेकर सवाल उठाया जा रहा था ,लेकिन मैं भी चुनाव जीता और जाटों का समर्थन भी बीजेपी को मिला ,इस बार भी ऐसा ही होगा.