5 साल में सांसदों को सस्ता भोजन देने में खर्च हुए 74 करोड़
देश में पेट्रोलियम पदार्थो को बाजार के हवाले किया जा चुका है, हर रोज दाम ऊंचे-नीचे हो रहे हैं।
भोपाल:
देश में पेट्रोलियम पदार्थो को बाजार के हवाले किया जा चुका है, हर रोज दाम ऊंचे-नीचे हो रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों को रसोई गैस उपलब्ध कराने के लिए आमजन से गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने का आग्रह करते नजर आते हैं, मगर आपको यह जानकार हैरानी होगी कि हमारे माननीय सेवकों यानी संसद सदस्यों को संसद की कैंटीनों से सस्ता भोजन मुहैया कराने पर पांच वर्षो में 74 करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी पड़ रही है।
वैसे तो निर्वाचित प्रतिनिधि अपने को 'जनता का सेवक' बताने से नहीं हिचकते, मगर एक बार चुनाव जीतने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में आने वाले बदलाव का किसी को अंदाजा नहीं है। एक तरफ जहां सांसदों को लगभग डेढ़ लाख रुपये मासिक पगार व भत्ते मिलते हैं, वहीं बिजली, पानी, आवास, चिकित्सा, रेल और हवाई जहाज में यात्रा सुविधा मुफ्त मिलती है। इतना ही नहीं, एक बार निर्वाचित होने पर जीवनर्पयत पेंशन का भी प्रावधान है।
संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा में करोड़पति सांसदों की कमी नहीं है, उसके बावजूद उन्हें संसद परिसर में स्थित चार कैंटीनों में सस्ता खाना दिया जाता है। वास्तविक कीमत और रियायती दर पर दिए जाने वाले खाने के अंतर की भरपाई लोकसभा सचिवालय यानी सरकार को करनी होती है। औसत तौर पर हर वर्ष कैंटीन से सांसदों को उपलब्ध कराए जाने वाले सस्ते भोजन के एवज में 15 करोड़ की सब्सिडी के तौर पर भरपाई करनी होती है।
मध्य प्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने सूचना के अधिकार के तहत सांसदों को रियायती दर पर मिलने वाले भोजन के चलते सदन या सरकार पर पड़ने वाले आर्थिक भार की जो जानकारी हासिल की, वह चौंकाने वाली है। बताया गया है कि बीते पांच सालों में सांसदों के सस्ते भेाजन पर 73,85,62,474 रुपये बतौर सब्सिडी दी गई।
और पढ़ें: अंबेडकर के सपने को पूरा कर रहा 'मेक इन इंडिया' : पीएम मोदी
गौड़ द्वारा मांगी गई जानकारी पर लोकसभा सचिवालय की सामान्य कार्य शाखा के उप-सचिव मनीष कुमार रेवारी ने जो ब्यौरा दिया है, उससे एक बात तो साफ होती है कि माननीय सेवकों ने हर वर्ष सिर्फ कैंटीन में किए गए भोजन से सरकार पर औसतन 15 करोड़ का भार बढ़ाया है।
सूचना के अधिकार के तहत दिए गए ब्यौरे के मुताबिक, वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक संसद कैटीनों को कुल 73,85,62,474 रुपये बतौर सब्सिडी दिए गए। अगर बीते पांच वर्षो की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है कि वर्ष 2012-13 में सांसदों के सस्ते भोजन पर 12,52,01867 रुपये, वर्ष 2013-14 में 14,09,69082 रुपये सब्सिडी के तौर पर दिए गए।
इसी तरह वर्ष 2014-15 में 15,85,46612 रुपये, वर्ष 2015-16 में 15,97,91259 रुपये और वर्ष 2016-17 में सांसदों को सस्ता भोजन मुहैया कराने पर 15,40,53,3654 रुपये की सब्सिडी दी गई।
गौड़ कहते हैं, 'प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह गरीबों को रसोई गैस देने के लिए सक्षम परिवारों से सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, उसी तरह सांसदों को कैंटीन से सस्ता खाना उपलब्ध कराने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ न लेने की अपील करेंगे, यह उम्मीद करता हूं।'
सूचना के अधिकार के तहत संसद कैंटीन में सस्ता खाना सांसदों को देने के लिए सब्सिडी देने का प्रावधान का खुलासा इसलिए अहम हो जाता है, क्योंकि सरकार किसानों, पेटोलियम पदार्थो पर मिलने वाली सब्सिडी को अपरोक्ष रूप से बंद करने के लिए तरह-तरह के तर्क देती है, मगर सांसदों को सस्ता खाना खिलाने में गुरेज नहीं करती। यह वह वर्ग है, जिसकी मासिक पगार डेढ़ लाख रुपये से कम नहीं है। उनके लिए अन्य सुविधाएं भी अलग से हैं, मगर कहने को 'सेवक' हैं।
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Shah Rukh Khan Son: बेटे अबराम के साथ KKR को सपोर्ट करने पहुंचे शाहरुख, मैच से तस्वीरें वायरल
-
Rashmi Desai Fat-Shamed: फैट-शेमिंग करने वाले ट्रोलर्स को रश्मि देसाई ने दिया करारा जवाब, कही ये बातें
-
Sonam Kapoor Postpartum Weight Gain: प्रेगनेंसी के बाद सोनम कपूर का बढ़ गया 32 किलो वजन, फिट होने के लिए की इतनी मेहनत
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी