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प्रतीकात्मक तस्वीर
सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को पांच और साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. सरकार का कहना है कि सिमी की गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह अपनी विध्वंसक गतिविधियों को जारी रखेगी. अपने फरार कार्यकर्ताओं को फिर से संगठित करेगी तथा देश विरोधी भावनाओं को भड़का कर धर्मनिरपेक्ष ढांचे को बाधित करेगी. गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 3 की उप-धाराएं (1) और (3) के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार ने सिमी को 'गैर-कानूनी संगठन' घोषित किया है और यह अधिसूचना उपरोक्त अधिनियम की धारा 4 के तहत किए जा सकने वाले किसी भी आदेश के अधीन है, जिसका प्रभाव पांच साल की अवधि के लिए होता है.
Union Home Ministry: The Central Government hereby declares the
— ANI (@ANI) February 2, 2019
Students Islamic Movement of India (SIMI) as an “unlawful association.” pic.twitter.com/uX42mqnJBT
सरकार की ओर से सिमी पर लगाए गए प्रतिबंध की पुष्टि एक न्यायाधिकरण का करना पड़ेगा. गृह मंत्रालय ने 58 ऐसे मामलों को सूचीबद्ध किया है, जिसमें सिमी के सदस्य कथित रूप से शामिल थे. मंत्रालय ने कहा कि संगठन सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करके, देश की अखंडता और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों के जरिये लोगों के दिमाग को दूषित कर रहा है. इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार का यह भी मानना है कि सिमी की गतिविधियों के देखते हुए इसे तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी संगठन घोषित करना आवश्यक है. जिन आतंकवादी गतिविधियों में सिमी के सदस्य कथित रूप से शामिल रहे हैं. उनमें बिहार के गया में 2017 का विस्फोट, 2014 में बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में विस्फोट और 2014 में ही भोपाल में जेल ब्रेक शामिल हैं.
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल की पुलिस ने सिमी के शीर्ष नेताओं सफदर नागौरी, अबु फैसल सहित अन्य के खिलाफ दोषसिद्धि का विवरण दिया है. जांचकर्ताओं के मुताबिक, फैसल ने 2013 के खंडवा जेल ब्रेक की घटना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी .अधिकारियों ने बताया कि इस समूह के सदस्य कथित तौर पर बैंक लूट, पुलिसकर्मियों की हत्या, विस्फोट सहित अन्य मामलों में शामिल रहे हैं.
क्या है सिमी
सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुई थी और यह संगठन कथित रूप से भारत को इस्लामिक राज्य में परिवर्तित करके भारत को आज़ाद कराने के एजेंडे पर काम करता है. इसे पहली बार 2001 में एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था और तब से इसे कई बार प्रतिबंधित किया गया है. पिछली बार एक फरवरी 2014 को यूपीए सरकार ने इस पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया था. प्रतिबंध की पुष्टि 30 जुलाई 2014 को एक न्यायाधिकरण ने की थी.