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केंद्र ने SC में दाखिल किया जवाब, ऑक्सीजन को लेकर पीएम मोदी खुद सक्रिय 

देश में एक बार फिर से कोरोना महामारी तेजी से फैल रही है. देशभर में कोरोना महामारी से निपटने के लिए हो रही केंद्र सरकार की कोशिशों पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है.

Updated on: 27 Apr 2021, 05:33 PM

नई दिल्ली:

देश में एक बार फिर से कोरोना महामारी तेजी से फैल रही है. देशभर में कोरोना महामारी से निपटने के लिए हो रही केंद्र सरकार की कोशिशों पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. सरकार का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी खुद ऑक्सीजन उत्पादन और वितरण को बेहतर बनाने को लेकर सक्रिय हैं. राजनीति पार्टियां भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उन्हें सहयोग दे रही है. ऑक्सीजन संकट से निपटने के लिए औद्योगिक ऑक्सीजन बनाने वालों को मेडिकल ऑक्सीजन बनाने का लाइसेंस दिया जा रहा है. स्टील उद्योग से ऑक्सीजन ले रहे हैं. ऑक्सीजन टैंकरों की उपलब्धता भी बढ़ाई जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी- ये राष्ट्रीय आपदा है, संकट के वक्त अदालत महज मूकदर्शक नहीं रह सकती

देश में कोरोना वायरस से मचे हाहाकार के बीच सुप्रीम कोर्ट में इस मसले मंगलवार को सुनवाई हुई. 22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से बिगड़ते हालातों को लेकर इस पर स्वत: संज्ञान लिया था और 4 बिंदुओं (ऑक्सीजन की आपूर्ति, आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति, वैक्सीनेशन का तरीका, राज्य में लॉकडाउन का फैसला लेने का अधिकार) पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन की कीमतों समेत कई और बिंदुओं से केंद्र सरकार से सवाल किए हैं.

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू होने पर सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा कि हमने जवाब दाखिल कर दिया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि हमें जवाब देखने के लिए एक दो दिन का वक्त चाहिए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अभी उपलब्ध ऑक्सीजन, ऑक्सीजन की  फिलहाल और भविष्य में मांग और इसकी समेत कई बिंदुओं पर केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के ब्योरा मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से भी उपरोक्त बिंदुओं पर गुरुवार तक जवाब दाखिल करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोरा को एमिकस क्युरी नियुक्त किया. इस दौरान हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने अहम टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोविड महामारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेने का मतलब ये नहीं कि हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं होगी. देश के अलग अलग हाईकोर्ट बेहतर इस मामले को देख सकते हैं, पर कुछ मसले राष्ट्रीय नीति से जुड़े हैं. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा. न्यायालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यहां सहयोग देने का है. राष्ट्रीय संकट के वक्त सुप्रीम कोर्ट महज मूकदर्शक नहीं रह सकता.

सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और तमाम दूसरे राजनीतिक दल पार्टी लाइन से ऊपर उठकर इस संकट को देख सकते हैं. हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट कौन सुनवाई करे, किसका अधिकार क्षेत्र है, ये इतना महत्वपूर्ण नहीं है. हम संकट से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हमें देखना होगा कि इस महामारी के मद्देनजर हम पैरामिलिट्री फोर्सज, रेलवे और आर्मी के संसाधनों का कैसे बेड, क्वारंटाइन, और वेक्सीनेशन के लिए बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं.

इस दौरान कोर्ट ने वैक्सीन की कीमत को लेकर भी टिप्पणी की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जहां तक वैक्सीनेशन की बात है, तमाम मैनुफेक्चरस अलग अलग वैक्सीन का दाम बता रहे हैं. ये संकट का वक्त है, इसको भी देखना होगा. अदालत ने सवाल किया कि वैक्सीन के अलग-अलग दामों पर केंद्र क्या कर रहा है, अगर अभी की स्थिति नेशनल इमरजेंसी नहीं है तो क्या है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मसले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा.