केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) बीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त के प्रयास मामले की जांच एक या दो दिन में शुरू कर सकती है।
जांच एजेंसी इस सनसनीखेज मामले की जांच के लिए जांच अधिकारी नियुक्त करने का आदेश जारी कर सकती है। इस तरह का आदेश जारी होने के बाद एजेंसी प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करेगी और जांच करेगी।
पुलिस ने मामले में रामचंद्र भारती, सिम्हाजी और नंद कुमार को मोइनाबाद के एक फार्महाउस से गिरफ्तार किया था, जब वे बीआरएस विधायकों से मिल रहे थे। बीआरएस के एक विधायक पायलट रोहित रेड्डी की गुप्त सूचना पर छापा मारा गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये और तीन विधायकों को 50-50 करोड़ रुपये की पेशकश की।
भाजपा के कथित एजेंट होने के आरोप में आरोपियों को बाद में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। 9 नवंबर को तेलंगाना सरकार ने मामले की जांच के लिए हैदराबाद पुलिस आयुक्त सी. वी. आनंद की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया।
एसआईटी ने आरोपियों से पूछताछ की थी और भाजपा के महासचिव बी.एल. संतोष सहित अन्य को नोटिस जारी किया था, लेकिन भाजपा नेता ने उच्च न्यायालय से स्टे प्राप्त कर लिया।
हाईकोर्ट ने एक दिसंबर को आरोपियों को जमानत दे दी थी। हालांकि रामचंद्र भारती और नंद कुमार को उनके खिलाफ दर्ज अन्य मामलों में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था।
एसआईटी की जांच पर संदेह जताने पर अदालत ने 26 दिसंबर को मामले को सीबीआई को सौंप दिया था।
हालांकि राज्य सरकार के अनुरोध पर उच्च न्यायालय ने आदेश की प्रति उपलब्ध होने तक निलंबन पर रोक लगा दी। बुधवार को यह उपलब्ध कराया गया। अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि तेलंगाना सरकार एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील दायर करेगी या नहीं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्रीय एजेंसी अपनी जांच कैसे शुरू करती है। अब देखना यह होगा कि वह पहले बीआरएस के चार विधायकों को पूछताछ के लिए बुलाती है या आरोपियों को तलब करती है।
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Source : IANS