केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.एन. शुक्ला और उनकी पत्नी के खिलाफ माला दर्ज किया है। आरोप है कि उन्होंने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक कथित रूप से 2.45 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि शुक्ला दूसरों को भुगतान करने के लिए निर्देश दे रहे थे और अपने परिचित व्यक्तियों के नाम पर जमीन खरीद रहे थे, जिसे उन्होंने बाद में ऊंची कीमतों पर बेच दिया।
सूत्रों ने बताया कि मामले की जांच के दौरान शुक्ला ने लखनऊ में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ के न्यायाधीश पद पर रहते हुए जानबूझकर खुद को अवैध रूप से समृद्ध किया और सुचिता तिवारी (उनकी दूसरी पत्नी, जैसा कि नई दिल्ली में सीबीआई अदालत में दायर अदालती आवेदन में तिवारी द्वारा कहा गया है) और सईदीन तिवारी (उनकी पहली पत्नी केश कुमारी के भाई) और अन्य के नाम पर भ्रष्ट और अवैध तरीकों से संपत्ति अर्जित की। शुक्ला उस दौरान दूसरी पत्नी के साथ रह रहे थे।
प्राथमिकी में लिखा गया है, सुचिता तिवारी और सईदीन तिवारी के नाम से शुक्ला द्वारा संपत्तियों के अधिग्रहण से संबंधित स्रोत की जानकारी का सत्यापन किया गया। यह पता चला है कि तिवारी 2014 में शुक्ला के संपर्क में आए थे और इससे पहले उनके पास कोई अचल संपत्ति नहीं थी। तलाशी के दौरान तिवारी के घर से शुक्ला और उनके संयुक्त नाम पर 18 लाख रुपये की एफडीआर सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए गए थे।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि शुक्ला ने अमेठी स्थित शिव शक्ति धाम ट्रस्ट के खाते से विभिन्न उद्देश्यों के लिए धन हस्तांतरित किया। शुक्ला के मोबाइल फोन डेटा से सईदीन तिवारी के नाम पर संपत्ति हासिल करने में शुक्ला और तिवारी की निकटता का पता चला।
जांच एजेंसी ने कहा कि सईदीन तिवारी के नाम पर अधिग्रहित भूमि से संबंधित भूमि बिक्री लेन-देन का विवरण अत्यधिक संदिग्ध है, क्योंकि उनके द्वारा 2012 में 3.67 लाख रुपये में खरीदा गया एक भूखंड 2014 में 30 लाख रुपये में बेचा गया था। इसी तरह, 2013 में 3.15 लाख रुपये में खरीदा गया एक और प्लॉट बाद में 2017 में 70 लाख रुपये में बेचा गया।
सीबीआई ने कहा कि दोनों प्लॉट शाइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ को बेचे गए थे।
सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, हमें पता चला कि सौदों के पीछे शुक्ला का हाथ था। शुक्ला ने भुगतान करने के संबंध में शाइन सिटी के साथ काम करने वाले हिमांशु कुमार को संदेश भेजा। शिव शक्ति धाम ट्रस्ट के नाम पर हिमांशु द्वारा शुक्ला को भेजे गए कुल 80 लाख रुपये के भुगतान का विवरण शुक्ला के जब्त किए गए मोबाइल डेटा में मिला। इसमें डॉ. राज नारायण मिश्रा और अमित शुक्ला के नाम भी पाए गए।
अधिकारी ने कहा कि शुक्ला द्वारा विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर किए गए कई सौदों का विवरण था। सबूत जुटाने के बाद अब सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है।
साल 2019 में शुक्ला और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, आई.एम. कुद्दुसी के खिलाफ लखनऊ में एक मेडिकल कॉलेज के पक्ष में अदालत के आदेश के लिए रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया गया था।
2019 में भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शुक्ला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस जांच कराने के बाद शुक्ला पर महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। हालांकि, उस समय शुक्ला पर महाभियोग नहीं लगाया गया था। भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी शुक्ला पर महाभियोग चलाने का समर्थन किया था।
अब सीबीआई ने शुक्ला और उनकी पत्नी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का ताजा मामला दर्ज किया है और आने वाले दिनों में उन्हें जांच में शामिल होने के लिए समन जारी कर सकती है।
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Source : IANS