केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एक पाकिस्तानी नागरिक से जुड़े आईपीएल सट्टेबाजी रैकेट के संबंध में चार शहरों में तलाशी अभियान चला रहा है।
दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद और दूसरे शहर में तलाशी जारी है। एजेंसी ने अब तक छापेमारी के दौरान कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए हैं।
सीबीआई ने तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, जिनकी पहचान दिल्ली के रोहिणी इलाके के रहने वाले दिलीप कुमार और हैदराबाद के रहने वाले गुरराम सतीश और गुरराम वासु के रूप में हुई है। तीनों ने कथित तौर पर एक पाकिस्तानी हैंडलर के निर्देश पर 2019 में आईपीएल मैचों को प्रभावित किया।
वे वकास मलिक नाम के एक पाकिस्तानी नागरिक के संपर्क में थे, जो उन्हें बार-बार सीमा पार से फोन करता था।
आरोपी ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का उपयोग करके और आईपीएल सट्टेबाजी रैकेट में शामिल हवाला धन को रूट करने के लिए बैंक अधिकारियों को रिश्वत देकर कई बैंक खाते खोले थे।
सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, पाकिस्तान से मिली जानकारी के आधार पर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) मैचों के परिणामों को प्रभावित करके क्रिकेट सट्टेबाजी में शामिल व्यक्तियों के एक नेटवर्क के बारे में एक विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई थी। वे सट्टेबाजी के लिए प्रेरित करके आम जनता को धोखा दे रहे थे।
अधिकारी ने कहा कि इस तरह की सट्टेबाजी गतिविधियों के कारण भारत में आम जनता से प्राप्त धन का एक हिस्सा हवाला लेनदेन का उपयोग करके विदेशों में स्थित उनके सहयोगियों के साथ साझा किया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त व्यक्तियों का उक्त नेटवर्क 2013 से क्रिकेट सट्टे में लिप्त था।
सीबीआई अधिकारी ने कहा, तीनों और अन्य वकास मलिक नाम के एक पाकिस्तानी संदिग्ध के संपर्क में थे, जिसने कुमार और सतीश और भारत में कुछ अज्ञात व्यक्तियों से पाकिस्तानी नंबर का उपयोग करके संपर्क किया था। वे सभी अवैध सट्टेबाजी गतिविधियों में शामिल नेटवर्क का हिस्सा थे।
कुमार, सतीश और वासु ने अज्ञात बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से बैंक खातों के केवाईसी फॉर्म में अलग-अलग आईडी का इस्तेमाल किया। कुमार के एक खाते में 45 लाख रुपये से अधिक के लेन-देन संदिग्ध पाए गए।
व्यक्तियों का यह नेटवर्क 2019 में आयोजित आईपीएल मैचों में सट्टेबाजी में शामिल था। वे अवैध उद्देश्यों के लिए पैसे का उपयोग कर रहे थे।
अधिकारी ने कहा, वासु के बैंक खाते में घरेलू जमा के लेनदेन ने आर्थिक तर्क को धता बता दिया। 2012-13 और 2019-20 के बीच उनका मूल्य 5.37 करोड़ रुपये से अधिक था। संदिग्ध बैंक खातों के केवाईसी दस्तावेजों की बैंक अधिकारियों द्वारा ठीक से जांच नहीं की गई थी। इन खातों में जमा की गई अधिकतम नकदी अखिल भारतीय प्रकृति की थी, जिसने क्रिकेट सट्टेबाजी और अन्य आपराधिक गतिविधियों से जुड़े इन असामान्य वित्तीय लेनदेन के आरोपों की पुष्टि की।
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Source : IANS