सीबीआई ने धोखाधड़ी मामले में कॉर्पोरेशन बैंक के पूर्व सीएमडी, 2 अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
सीबीआई ने धोखाधड़ी मामले में कॉर्पोरेशन बैंक के पूर्व सीएमडी, 2 अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
नई दिल्ली:
सीबीआई ने शुक्रवार को कहा कि उसने बैंक धोखाधड़ी के मामले में कॉर्पोरेशन बैंक के एक पूर्व अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) और दो अन्य के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया है।अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। चार्जशीट मुंबई की एक कोर्ट में दाखिल की गई।
इस मामले में रामनाथ प्रदीप, कॉर्पोरेशन बैंक के पूर्व सीएमडी, एस. एन. मूर्ति शंकर, पूर्व मुख्य प्रबंधक और बैंक के पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक एपी शिव कुमार के खिलाफ आरोपपत्र 2017 में दर्ज किया गया था।
अधिकारियों के मुताबिक, कॉर्पोरेशन बैंक ने अपने अधिकारियों और मुंबई की एक निजी फर्म के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
1994 में निगमित निजी फर्म एल्युमिनियम फॉयल कंटेनरों के निर्माण में लगी हुई है। आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर ई-कॉर्पोरेशन बैंक (अब यूबीआई) से 60 करोड़ रुपये का ऋण लिया। जिस फर्म ने कारोबार करने के लिए कर्ज लिया था, उसने कथित तौर पर फंड को डायवर्ट कर दिया।
फंड को डायवर्ट करने के बाद, फर्म ने इसे रियल एस्टेट में निवेश किया। इस प्रकार उन्होंने ऋण के नाम पर बैंक को भारी नुकसान पहुंचाया।
बैंक द्वारा दायर की गई शिकायत में उसके उच्च पद के अधिकारियों की संलिप्तता का उल्लेख किया गया है। बैंक अधिकारियों ने लीड बैंक के पास आहरण शक्ति की पुष्टि किए बिना 59 करोड़ रुपये के वितरण की अनुमति दी।
अधिकारियों के अनुसार, यह भी आरोप है कि कॉर्पोरेशन बैंक के अधिकारियों ने कॉर्पोरेशन बैंक को कंसोर्टियम में शामिल करने वाले लीड बैंक से एनओसी मांगने के लिए उक्त निजी कंपनी की समयसीमा बार-बार बढ़ायी। बाद में उन्होंने कन्सोर्टियम के लीड बैंक से एनओसी मांगने की शर्त हटा दी।
यह भी आरोप लगाया गया है कि बैंक के पूर्व सीएमडी ने कंसोर्टियम के मौजूदा तीन बैंकों द्वारा बढ़ी हुई सीमा को साझा करने से इनकार करने का बहाना बनाकर उक्त निजी कंपनी को कथित तौर पर 60 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी सीमा मंजूर की थी।
अधिकारियों के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने तीन बैंकों से सीमा बढ़ाने में अपना हिस्सा लेने से इनकार करने के कारणों की पुष्टि सुनिश्चित नहीं की और वित्तीय क्लोजर और टाई-अप स्थिति की वास्तविक स्थिति का पता लगाए बिना उनके हिस्से को मंजूरी दे दी।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि उक्त ऋण सीमा की मंजूरी बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन है।
आरोपी बैंक अधिकारियों ने लीड बैंक से एनओसी प्राप्त करने की शर्त भी माफ कर दी, जिससे बैंक को वित्तीय नुकसान हुआ।
अधिकारियों के अनुसार, निजी फर्म के स्वीकृति प्रस्ताव के मूल्यांकन में जुड़े आरोपी पूरी तरह से जानते हैं कि ऋण का आवेदक न तो निदेशक था और न ही उधारकर्ता कंपनी का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता था।
सूत्रों ने कहा कि वे निजी फर्म के संबंध में स्वीकृति शर्तों में संशोधन के लिए मैमोरेंडम तैयार करने में शामिल थे।
यह भी आरोप लगाया गया है कि आरोपी ने संशोधित मंजूरी शर्तों का पालन नहीं किया और कथित तौर पर अग्रणी बैंक को मंजूरी के बारे में सूचित किए बिना ऋण का वितरण किया।
दिसंबर 2020 में, सीबीआई ने मामले में अपनी पहली चार्जशीट दायर की थी।
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