सीबीआई ने धोखाधड़ी के मामले में केन्याई नागरिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की

सीबीआई ने धोखाधड़ी के मामले में केन्याई नागरिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की

सीबीआई ने धोखाधड़ी के मामले में केन्याई नागरिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की

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IANS
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Central Bureau

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

सीबीआई ने गुरुवार को एक भारतीय मूल के केन्याई नागरिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसने पिछले साल धोखाधड़ी कर अदालत का आदेश अपने पक्ष में हासिल कर लिया और अपने 11 वर्षीय बेटे को साथ रखने का हकदार बन गया।

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7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद संघीय जांच एजेंसी ने अब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। अदालत ने सीबीआई को बच्चा उसकी मां को सौंपने का निर्देश दिया है।

प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार, पेरी कंसाग्रा ने फर्जी कागजात के आधार पर साकेत कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिस पर आए फैसले में उन्हें बेटे आदित्य को साथ रखने की अनुमति दी गई। बाद में बच्चे की मां स्मृति मदन कंसाग्रा ने फैसले को चुनौती दी थी।

पेरी कंसाग्रा पारिवारिक अदालत, दिल्ली उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बाद धोखाधड़ी से मिरर ऑर्डर हासिल करने में सक्षम हो गया था।

प्राथमिकी में कहा गया है कि पेरी ने धोखाधड़ी के इरादे से भारतीय अदालत का दरवाजा खटखटाया। सीबीआई ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपी ने अपहरण, झूठा हलफनामा देने और झूठी घोषणा या उपक्रम करने के अपराध किए हैं और उस पर आईपीसी की धारा 181,193,363 और 365 के तहत आरोप लगाया है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह सच है कि बच्चा अब केन्या में है। लेकिन इस अदालत से धोखाधड़ी से प्राप्त आदेशों के आधार पर ही उसे केन्या ले जाया गया।

विदेश मंत्रालय में सचिव और केन्या में भारतीय दूतावास को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि बच्चे की कस्टडी हासिल करने के लिए स्मृति को हर संभव सहायता और साजो-सामान मुहैया कराया जाए।

पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने 11 वर्षीय बच्चे को साथ रखने की अनुमति केन्या में रहने वाले उसके पिता को दी थी। शीर्ष अदालत को बताया गया कि 21 मई को केन्याई उच्च न्यायालय ने उसके द्वारा पारित आदेश को मान्यता देने से इनकार कर दिया था।

पिछले साल दिसंबर में शीर्ष अदालत को सूचित किया गया था कि 9 नवंबर को केन्याई अदालत ने अपना फैसला दर्ज किया था। बच्चे की मां ने यह कहते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था कि भारत और केन्या पारस्परिक देश नहीं हैं, इसलिए केन्या के पारस्परिक प्रवर्तन अधिनियम उस पर लागू नहीं होंगे। हालांकि, उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

उसने सीबीआई जांच की मांग को लेकर फिर से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। मां की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर पेश हुईं।

गुरुवार को शीर्ष अदालत ने पिछले साल अक्टूबर और दिसंबर में पारित अपने फैसलों को वापस ले लिया और फैसला सुनाया कि पेरी का बच्चे को अपने साथ रखना अवैध है।

शीर्ष अदालत ने कहा, पेरी को नोटिस जारी करें कि 16 नवंबर, 2021 को इस अदालत को कागजात वापस करने के दिए गए आदेश का उल्लंघन करने पर उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए। रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह एक स्वत: संज्ञान अवमानना मामला दर्ज करे और उसी के अनुसार आगे बढ़े।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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