व्यापमं घोटाला : सीबीआई ने 73 के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया
व्यापमं घोटाला : सीबीआई ने 73 के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया
नई दिल्ली:
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उसने एमपीपीएमटी-2012 परीक्षाओं से संबंधित व्यापमं घोटाला मामले में अपनी जांच के सिलसिले में 73 लोगों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है।सीबीआई के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि एजेंसी ने 13 नए आरोपियों सहित 73 आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है।
अधिकारी ने बताया कि सीबीआई ने 31 जुलाई 2015 को 587 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और व्यापमं घोटाले के मामलों की जांच एसटीएफ से स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट के 9 जुलाई 2015 के आदेश पर भोपाल में पूर्व में दर्ज मामले की जांच का जिम्मा अपने हाथ में लिया था।
इस मामले में आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने एमपीपीएमटी-2012 में एक अनूठी इंजन बोगी प्रणाली या धोखाधड़ी का तरीका अपनाया था, जिसमें मध्य प्रदेश के बाहर के बुद्धिमान छात्रों को लाभार्थी या बोगी द्वारा उनके उत्तरों की प्रतिलिपि की अनुमति देने के लिए सॉल्वर उम्मीदवारों के रूप में शामिल किया गया था। एमपीपीएमटी-2012 में इन उम्मीदवारों को पास करने के लिए उम्मीदवारों और आरोपी उम्मीदवारों के डिजिटल डेटा और ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर किया गया।
अधिकारी ने बताया कि सीबीआई ने इससे पहले 23 नवंबर, 2017 को विशेष न्यायाधीश, व्यापमं मामले, भोपाल की अदालत में 245 नए आरोपियों सहित 592 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था और आगे की जांच के दौरान, प्रतिरूपण करने वालों, भगोड़ों आदि की वास्तविक पहचान हुई।
उन्होंने कहा, पूरक आरोपपत्र में डिजिटल डाटा और ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं में हेराफेरी से जुड़े 54 आरोपियों और प्रतिरूपण से जुड़े 19 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि यह आरोप लगाया गया था कि 19 आरोपी उम्मीदवारों ने परीक्षा के दौरान जानबूझकर अपने संबंधित ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं पर 120 से 130 प्रश्नों के अंडाकार खाली छोड़ दिए थे और आरोपी व्यापमं अधिकारियों ने ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं (कंप्यूटर डेटा) के डिजिटल डेटा में हेरफेर किया, ताकि इन उम्मीदवारों को अवैध रूप से पास किया जा सके।
उन्होंने कहा कि आरोपी उम्मीदवारों का बिना छेड़छाड़ का डेटा भी बरामद किया गया था और यह दर्शाता है कि इन उम्मीदवारों ने कम उत्तर भरे थे। इन उम्मीदवारों, उनके अभिभावकों और बिचौलियों के साथ साजिश में, उन व्यापमं अधिकारियों ने इन उम्मीदवारों के डिजिटल डेटा और ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं में अंक बढ़ाने के लिए हेरफेर किया, ताकि उन्हें एमपीपीएमटी-2012 में अवैध रूप से पास किया जा सके।
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