भारत के संसदीय लोकतंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोक लेखा समिति (पीएसी) के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। 4 दिसंबर से शुरू होने वाले इस दो दिवसीय शताब्दी समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान समेत 52 कॉमनवेल्थ देशों को न्योता भेजा गया था, लेकिन कोविड के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे की वजह से कोई भी विदेशी प्रतिनिधिमंडल इस समारोह में शामिल होने के लिए भारत नहीं आ पा रहा है।
पीएसी के शताब्दी समारोह की जानकारी देते हुए समिति के चेयरमैन अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि ओमिक्रॉन के खतरे की वजह से कोई भी विदेशी प्रतिनिधिमंडल इस समारोह में शामिल नहीं हो पा रहा है। पीएसी चेयरमैन ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए पाकिस्तान को भी न्योता भेजा गया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया।
शताब्दी समारोह कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। राज्य सभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला भी इस दौरान मौजूद रहेंगे। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि रविवार को होने वाले समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी का प्रयास किया जा रहा है।
मीडिया से बात करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि ब्रिटिश शासन काल में 1921 में लोक लेखा समिति का गठन किया गया था। देश के आजाद होने और गणतंत्र बन जाने के बाद इसमें आमूल चूल परिवर्तन होना शुरू हुआ। वर्ष 1967 में सरकार ने यह फैसला किया कि इस समिति का चेयरमैन विपक्ष के नेता को ही बनाया जाएगा और उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है।
उन्होंने सरकार की कमियों, गलतियों, खामियों और अनियमितताओं को पकड़ने के लिए और वित्तीय मामलों में सरकारी कामकाज पर निगरानी में पीएसी की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र करते हुए बताया कि 1952 से लेकर 2021 तक यह समिति अपनी 1699 रिपोर्ट जमा कर चुकी है।
पीएम केयर्स फंड के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कैग को पीएसी का ब्रेन बताते हुए कहा कि यह समिति कैग की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करती है, लेकिन पीएम केयर्स फंड कैग के दायरे में नहीं आता है, इसलिए इस पर वह कुछ नहीं कह सकते हैं। इस पर पीएमओ ही कुछ कह सकता है।
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Source : IANS