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दिल्ली बॉर्डर पर जश्न, घर जाने से पहले आज विजय दिवस मनाएंगे किसान

पिछले 14 महीनों से विरोध कर रहे किसान ट्रकों और ट्रैक्टरों में अपने घरों के लिए निकलने की तैयारी में व्यस्त हैं. दूसरी ओर, किसानों के अनुसार, यूपी गेट पर बने विरोध स्थल को 15 दिसंबर तक पूरी तरह से खाली कर दिया जाएगा. 

Updated on: 11 Dec 2021, 07:49 AM

highlights

  • किसान मोर्चा ने कहा- सभी बॉर्डर, टोल प्लाजा व विरोध स्थलों पर विजय मार्च निकालेंगे
  • सीडीएस जनरल बिपिन रावत के सम्मान में इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया था
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी

नई दिल्ली:

पिछले कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान शनिवार को 'विजय दिवस' के रूप में मनाने के बाद छुट्टी पर लौटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. 
अब तक विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि किसान शनिवार को देश भर के सभी बॉर्डर, टोल प्लाजा और विरोध स्थलों पर विजय मार्च निकालेंगे जिसके बाद वे अंत में उनके साल भर के विरोध प्रदर्शन के समापन के अवसर पर वापस घर लौट जाएंगे. रिपोर्टों के अनुसार, किसानों ने 10 दिसंबर को विजय दिवस मनाने का फैसला किया था, लेकिन भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के सम्मान में इसे एक दिन बाद के लिए स्थगित कर दिया गया. सीडीएस बिपिन रावत का एक हवाई दुर्घटना में मौत हो गई थी जिनका शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी के सिंघू और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के जाने की गतिविधि शुरू हो गई है.

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पिछले 14 महीनों से विरोध कर रहे किसान ट्रकों और ट्रैक्टरों में अपने घरों के लिए निकलने की तैयारी में व्यस्त हैं. दूसरी ओर, किसानों के अनुसार, यूपी गेट पर बने विरोध स्थल को 15 दिसंबर तक पूरी तरह से खाली कर दिया जाएगा. अराजकता से बचने के लिए किसानों ने शनिवार की सुबह एक साथ नहीं छोड़ने का फैसला किया है. उनमें से कुछ किसान वापस रहेंगे और बाद में गाड़ियां आने पर यहां से रवाना होंगे. पंजाब के अमृतसर के एक किसान ने बताया, बड़े टेंटों को हटाने में एक या दो दिन लगेंगे और हमें अपना सामान वापस लेने के लिए कम से कम दो ट्रकों की जरूरत होगी. उन्होंने कहा, अंतिम लक्ष्य 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर पहुंचना है.

हजारों किसान, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर नवंबर 2020 के अंत से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. बाद में, संसद ने 29 नवंबर को उन्हें निरस्त करने के लिए एक विधेयक पारित किया था. बाद में किसानों की अन्य सभी मांगों को मान लिया गया.