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CEC ने राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे की सीमा तय करने का प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने सोमवार को राजनीतिक दलों को नकद दान देने का प्रस्ताव तैयार कर कानून मंत्रालय को भेजा है.

Updated on: 19 Sep 2022, 11:33 PM

नई दिल्ली:

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने सोमवार को राजनीतिक दलों को नकद दान देने का प्रस्ताव तैयार कर कानून मंत्रालय को भेजा है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू को लिखे अपने पत्र में सीईसी ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले कुल नकद दान के 20 प्रतिशत या 20 करोड़ रुपए में से जो भी कम हो, का प्रस्ताव दिया है. यानी अगर चुनाव आयोग की बात मान ली गई तो अब राजनीतिक दल 20 करोड़ रुपए से ज्यादा चंदा कैश में नहीं ले सकेंगे. 

गुमनाम चंदे को भी 20,000 से घटाकर 2,000 रुपये  करने का है प्रस्ताव
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग ने चुनावी चंदे से काले धन के प्रभाव को खत्म करने के लिए गुमनाम राजनीतिक चंदे को 20,000 रुपए से घटाकर 2,000 रुपये करने का प्रस्ताव भेजा है. पत्र में सीईसी ने लोक प्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम में कई संशोधनों की सिफारिश की है. ईसीई के नए प्रस्ताव के अनुसार, राजनीतिक दलों को 2,000 रुपए से कम की नकद राशि की रिपोर्ट करने की आवश्यकता नहीं होगी. वर्तमान में लागू नियमों के अनुसार, राजनीतिक दलों को अपनी योगदान रिपोर्ट के माध्यम से 20,000 रुपए से अधिक के सभी चंदे का खुलासा करना होता है, जो चुनाव आयोग को प्रस्तुत किया जाता है.  

RUPPs से भी 253 से अधिक को किया जाएगा बाहर
इस महीने की शुरुआत में आयकर विभाग ने कुछ पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ( RUPPs) और उनके कथित संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के खिलाफ अखिल भारतीय स्तर पर कर चोरी की जांच के तहत कई राज्यों में छापे मार कार्रवाई की थी. बताया जाता है कि चुनाव आयोग की हालिया सिफारिश के आधार पर ही विभाग द्वारा ये कार्रवाई की गई हैं, जिसने हाल ही में भौतिक सत्यापन के दौरान गैर-मौजूद पाए जाने के बाद कम से कम 198 संस्थाओं को आरयूपीपी की सूची से हटा दिया था.

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गौरतलब है कि इलेक्शन कमीशन के पोल पैनल ने घोषणा की थी कि वह 2,100 से अधिक संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना तैयार की थी. लेकिन, आरयूपीपी के रूप में चिन्हित जिन दलों के खिलाफ नियमों और चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई होनी थी. उनके पते और पदाधिकारियों के नाम का सत्यापन ही नहीं हो पाया. यानी जिस पते पर ये दल रजिस्टर्ड थे, वहां उनका नामोनिशान तक नहीं मिला.