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लालू और तेजस्वी को CBI का समन, 25-26 सितंबर को पेश होने का आदेश

सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) ने रेलवे टेंडर मामले में राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 25 सितंबर को और उनके बेटे तेजस्वी यादव को 26 सितंबर को पेश होने के लिए समन भेजा है।

Updated on: 22 Sep 2017, 07:25 PM

highlights

  • रेलवे टेंडर घोटाला मामले में सीबीआई ने लालू और तेजस्वी को भेजा समन
  • सीबीआई इससे पहले ही दोनों नेताओं को पेश होने के लिए समन भेज चुकी है

नई दिल्ली:

सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) ने रेलवे टेंडर मामले में राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 25 सितंबर को और उनके बेटे तेजस्वी यादव को 26 सितंबर को पेश होने के लिए समन भेजा है।

गौरतलब है कि सीबीआई ने इससे पहले 7 सितंबर को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी यादव को 2006 में एक निजी कंपनी को दो आईआरसीटीसी होटलों के अनुबंध जारी करने में कथित अनियमितताओं के संबंध में 11 सितंबर और 12 सितंबर को पूछताछ के लिए पेश होने को कहा था।

हालांकि दोनों नेताओं ने भागलपुर में होने वाली रैली का हवाला देते हुए इस मामले में निजी पेशी से छूट होने की अपील की थी।

इस साल जुलाई में सीबीआई ने लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और तेजस्वी के खिलाफ कथित अनियमितता को लेकर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। यह मामला लालू यादव के रेल मंत्री के कार्यकाल से जुड़ा हुआ है। लालू यादव 2004 से 2009 तक रेलमंत्री थे।

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भारतीय रेलवे कैटरिंग और टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) के झारखंड के रांची में और ओडिशा के पुरी में स्थित दो होटलों को चलाने का ठेका बिहार में पटना में एक प्रमुख भूखंड के रूप में रिश्वत के बाद विजय और विनय कोचर की सुजाता होटल्स कंपनी को सौंपा गया था।

सीबीआई के मुताबिक, लालू प्रसाद ने आईआरसीटीसी के माध्यम से सुजाता होटल को अवैध रूप से चलाने की इजाजत दी और इन दो होटलों के विकास, रखरखाव और संचालन के लिए निविदा प्रक्रिया से पटना में तीन एकड़ भूखंड के बदले में छेड़छाड़ किया गया, जहां अब एक मॉल बन रहा है।

सीबीआई ने 5 जुलाई को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 120 बी के तहत और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 और 13 (1) बी के तहत मामला दर्ज किया था। सीबीआई का दावा है कि राजद के सांसद प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के स्वामित्व वाली 'बेनामी' कंपनी के जरिए रिश्वत का भुगतान किया गया।

सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि विनय कोचर ने 25 फरवरी, 2005 को 10 सेल डीड्स के माध्यम से पटना में तीन एकड़ जमीन की डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को 1.47 करोड़ रुपए में बिक्री की थी, जिसकी सरला गुप्ता निदेशक थी।

एफआईआर में आरोप लगाया है कि इस जमीन की बिक्री सर्कल दर और बाजार दर से नीचे की कीमत पर की गई और भारी भरकम स्टैंप ड्यूटी बचाने के लिए उसे गलत तरीके से कृषि भूमि के रूप में दिखाया गया।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच के दौरान, एजेंसी ने कथित तौर पर यह पाया कि कोचरों द्वारा डिलाइट मार्केटिंग को यह जमीन बेची गई थी, जिसका भुगतान अहलूवालिया कांट्रैक्टर और उसके प्रमोटर बिक्रमजीत सिंह अहलूवालिया के माध्यम से किया गया।

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इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन प्राइवेट के बिक्रमजीत सिंह अहलूवालिया से इस मामले के संबंध में पूछताछ की है। ईडी भी इस मामले की जांच कर रही है। ईडी ने इस संबंध में और पूछताछ के लिए सुजाता होटल के मालिकों विजय और विनय कोचर को भी सम्मन भेजा है।

ईडी ने 27 जुलाई को सीबीआई की प्राथमिकी के बाद मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत एक अलग मामला दर्ज किया था और शेल कंपनियों के माध्यम से धन के कथित लेन-देन को लेकर लालू प्रसाद व अन्य लोगों के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रहा है।

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