पी चिदंबरम बोले- सीबीआई मुझसे पूछताछ करे, मेरे बेटे को परेशान न करे
चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में सीबीआई मेरे बेटे को परेशान करने की बजाय मुझसे पूछताछ करनी चाहिए।
नई दिल्ली:
विदेश में अघोषित संपत्ति होने के आरोप में कार्ती चिदम्बरम को बार-बार सीबीआई द्वारा तलब किये जाने के लेकर पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने आपत्ति ज़ाहिर की है।
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि एयरसेल-मैक्सिस मामले में सीबीआई मेरे बेटे को परेशान करने की बजाय मुझसे पूछताछ करनी चाहिए। उनका आरोप है कि जांच एजेंसी गलत सूचना फैला रही है।
पी चिदंबरम ने ट्वीटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'एयरसेल-मैक्सिस में, एफआईपीबी ने सिफारिश की थी और मैंने उस कार्यवाही के के विवरण (मिनिट्स) को मंजूरी दी थी। सीबीआई को मुझसे पूछताछ करनी चाहिए और कार्ति चिदंबरम को परेशान नहीं करना चाहिए।'
In Aircel-Maxis, FIPB recommended and I approved minutes. CBI should question me and not harass Karti Chidambaram.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 15, 2017
पी चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा, 'निराश सीबीआई गलत सूचना प्रसारित कर रही है। एयरसेल-मैक्सिस में एफआईपीबी के अधिकारियों ने सीबीआई के सामने बयान दर्ज किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि मंजूरी वैध था।'
Sad CBI spreading misinformation. In Aircel-Maxis, FIPB officials have recorded statements before CBI that approval given was valid.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 15, 2017
केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने 2006 में हुए एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश को मंजूरी देने के सिलसिले में गुरुवार को पूछताछ के लिए कार्ति को बुलाया था। बता दें कि यह मंजूरी उस समय दी गई थी जब उनके पिता चिदंबरम वित्त मंत्री थे।
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कार्ति ने सीबीआई के जांच जारी रहने के दावे का खंडन करते हुए उसके समक्ष पेश होने से इंकार कर दिया था और कहा था कि एक विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया था और इस मामले की सुनवाई समाप्त हो चुकी है।
एक विशेष अदालत में दायर सीबीआई के एक आरोपपत्र के मुताबिक, मैक्सिस की सहायक कंपनी मॉरीशस स्थित मैसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विसेज होल्डिंग्स लिमिटेड ने एयरसेल में 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर निवेश करने की मंजूरी मांगी थी।
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया था कि पूर्व वित्त मंत्री ने समझौते के लिए एफआईपीबी को मंजूरी दी थी, जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले सीसीईए को भेजा जाना चाहिए था क्योंकि 600 करोड़ रुपये से अधिक के विदेशी निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी देने का अधिकार सिर्फ इसी समिति को था।
इस मामले के सिलसिले में 2014 में एजेंसी के समक्ष पेश होने वाले पी चिंदबरम ने इस साल एक बयान में कहा था कि एफआईपीबी का अनुमोदन की मंजूरी 'सामान्य कामकाज' में दी गई थी।
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