केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें उसने तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल का नाम बोगतुई से जोड़ा है। नरसंहार इसी जिले में पिछले साल मार्च में हुआ था।
पिछले साल मार्च में तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता भादू शेख की हत्या ने बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़का दी थी, जिसमें कई घरों में आग लगने के बाद नौ लोगों की मौत हो गई थी। मामले के मुख्य आरोपियों में से एक और भादू शेख के करीबी माने जाने वाले ललन शेख को 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय में शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।
हलफनामे के रूप में अदालत को सौंपी गई रिपोर्ट में सीबीआई ने दावा किया कि पिछले साल 21 मार्च को नरसंहार के दिन रात मंडल और एक अन्य मुख्य आरोपी अनारुल हक के बीच करीब 8.50 बजे टेलीफोन पर बातचीत हुई थी।
संयोग से करोड़ों रुपये के मवेशी तस्करी घोटाले में कथित संलिप्तता के संबंध में मंडल की जमानत याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होनी है।
सीबीआई ने हक और मंडल के बीच हुई बातचीत का जिक्र करते हुए जमानत याचिका पर आपत्ति जताते हुए हलफनामा दाखिल किया है।
पिछले साल बोगतुई नरसंहार के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को भादू शेख की हत्या और बोगतुई नरसंहार की दो समानांतर जांच करने का निर्देश दिया था। हाल ही में सीबीआई ने बोगतुई मामले में चार्जशीट पेश की, जिसमें अनारुल हक को मुख्य आरोपी बनाया गया था।
हालांकि, मंडल ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उन्हें फंसाने की साजिश रची गई है।
उन्होंने कहा, मेरा निवास उस जगह से 5 किलोमीटर दूर है, जहां नरसंहार हुआ था। मुझे झूठा फंसाया गया है और मैं सही समय आने पर सभी साजिशकर्ताओं का नाम बताऊंगा।
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Source : IANS