केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने 34,615 करोड़ रुपये के डीएचएफएल ऋण धोखाधड़ी मामले में 5.50 करोड़ रुपये की दो पेंटिंग, 5 करोड़ रुपये की दो घड़ियां और 2 करोड़ रुपये के आभूषण जब्त किए हैं।
जब्त किए गए सामानों में दो पेंटिंग- एक एफ.एन सूजा (1964) और दूसरा एस.एच रजा (1956); जैकब एंड कंपनी और फ्रैंक मुलर जेनेव की दो घड़ियां और आभूषण शामिल हैं।
सीबीआई ने कहा कि प्रमोटरों ने डायवर्ट किए गए फंड का उपयोग करके महंगी वस्तुओं का अधिग्रहण किया था।
डीएचएफएल के निदेशक कपिल और धीरज वधावन जिन्हें एजेंसी ने गिरफ्तार किया था, उन्हें लखनऊ से दिल्ली लाया गया था। बुधवार को उन्हें दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें तीन दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया।
इससे पहले 8 जुलाई को सीबीआई ने 40 करोड़ रुपये की पेंटिंग और मूर्तियां बरामद की थीं।
इस साल 20 जून को मामला दर्ज किया गया था। इस संबंध में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, नरीमन पॉइंट, मुंबई के डीजीएम और शाखा प्रमुख विपिन कुमार शुक्ला ने प्राथमिकी दर्ज कराई है।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल), इसके पूर्व सीएमडी कपिल वधावन, धीरज वधावन, वर्तमान निदेशक सुधाकर शेट्टी और अन्य आरोपियों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के संघ को धोखा देने के लिए एक आपराधिक साजिश रची।
सीबीआई ने कहा, वधावन और अन्य ने कंसोर्टियम बैंकों को 42,871.42 करोड़ रुपये के भारी ऋण को मंजूरी देने के लिए प्रेरित किया और डीएचएफएल के बहीखाते में हेराफेरी करके उक्त निधि के एक महत्वपूर्ण हिस्से का गबन और दुरुपयोग किया गया और उक्त कंसोर्टियम बैंकों के वैध बकाया के पुनर्भुगतान पर बेईमानी की। उन्होंने कंसोर्टियम उधारदाताओं को 34,615.00 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।
सीबीआई ने जांच करने के बाद आईपीसी की धारा 120-बी के साथ 409, 420, 477-ए और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) के साथ पठित धारा 13 (2) के तहत मामला दर्ज किया।
डीएचएफएल, इसके पूर्व सीएमडी वाधवान, एमडी धीरज वाधवान, वर्तमान निदेशक सुधाकर शेट्टी, अमेरीलिस रियल्टर्स एलएलपी (एआरएलएलपी), गुलमर्ग रियल्टर्स एलएलपी (जीआरएलएलपी), स्काईलार्क बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड, दर्शन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, सिगटिया कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, क्रिएटर बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, टाउनशिप डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, शिशिर रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड, सनब्लिंक रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड और लोक सेवकों सहित अन्य अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अधिकारी ने कहा कि यह पाया गया है कि प्रमोटरों ने कथित तौर पर फंड को डायवर्ट किया था और विभिन्न संस्थाओं में निवेश किया था। यह भी आरोप लगाया गया कि प्रमोटरों ने डायवर्ट किए गए फंड का उपयोग करके लगभग 55 करोड़ रुपये की महंगी पेंटिंग और मूर्तियां खरीदी थीं।
इससे पहले, 22 जून को मुंबई में 12 स्थानों पर आरोपियों के परिसरों की तलाशी ली गई थी, जिसमें आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए थे।
मामले में आगे की जांच जारी है।
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Source : IANS